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New Delhi. डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (DPDP) बिल को बुधवार (5 जुलाई) को कैबिनेट की मंजूरी दे दी गई। अब बिल को आगामी 20 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। बिल के कानून में बदलने के साथ ही डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग यानी डिजिटल डाटा शेयर की जानकारी लेना आपका अधिकार हो जाएगा। किसी भी व्यक्ति को अगर लगता है कि उसके डिजिटल डाटा का गलत इस्तेमाल हो रहा है तो वह निजी कंपनियों के साथ सरकार से भी अपने डाटा की जानकारी मांग सकता है।
नियम का उल्लंघन करने वाली कंपनी पर होगा 250 करोड़ तक का जुर्माना
केंद्र सरकार का कहना है कि डाटा अब अर्थव्यवस्था का ईंधन है। डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने के लिए एक समग्र फ्रेमवर्क की जरूरत है। डीपीडीपी बिल इस फ्रेमवर्क की पूर्ति करेगा। डाटा प्रोटेक्शन नियम का उल्लंघन करने वाली कंपनी पर बिल में 250 करोड़ तक के जुर्माने का प्राविधान किया गया है जिसे 500 करोड़ तक ले जाने की गुंजाइश रखी गई है। डिजिटल डाटा के गलत इस्तेमाल से प्रभावित व्यक्ति सिविल कोर्ट में क्षतिपूर्ति का भी दावा कर सकेगा। बिल में पिछले ड्राफ्ट के लगभग सभी प्रोविजन शामिल हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने कंसल्टेशन के लिए नवंबर 2022 में जारी किया गया था। प्रस्तावित ड्राफ्ट के तहत सरकारी संस्थाओं को पूरी छूट नहीं दी गई है। नए ड्राफ्ट को लाने से पहले सरकार ने 48 सरकार से बाहर के संगठनों और 38 सरकारी संगठनों से सुझाव लिए। कुल 21 हजार 660 सुझाव आए। इनमें से लगभग सभी पर विचार किया गया। डेटा प्रोटेक्शन बिल पर काम तब शुरू हुआ जब 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ‘राइट टू प्राइवेसी’ एक फंडामेंटल राइट है।
विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड करेगा फैसला
विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी। ड्राफ्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डेटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज किया गया हो। अगर विदेश से भारतीयों की प्रोफाइलिंग की जा रही है या गुड्स और सर्विस दी जा रही हों तो यह उस पर भी लागू होगा। इस बिल के तहत पर्सनल डेटा तभी प्रोसेस हो सकता है, जब इसके लिए सहमति दी गई हो।
अभी देश में ऐसा कानून नहीं
भारत में ऐसा कोई कानून फिलहाल नहीं है। मोबाइल और इंटरनेट के चलन के बाद से प्राइवेसी की सुरक्षा की जरूरत थी। कई देशों में लोगों के डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त कानून तैयार किए जा चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि सरकार संसद के मानसून सत्र में डेटा प्रोटेक्शन बिल और दूरसंचार बिल पारित कर सकती है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता जाहिर की थी। इस दौरान अप्रैल 2023 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक नया डेटा संरक्षण विधेयक तैयार है और जुलाई में संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। फिलहाल सख्त कानून न होने के वजह से डेटा कलेक्ट करने वाली कंपनियां इसका कई दफा फायदा उठाती हैं। बैंक, क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंश से जुड़ी जानकारियां के आए दिनों लीक हो जाने की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में लोग अपनी डेटा की प्राइवेसी को लेकर डाउट में रहते हैं।
बायोमेट्रिक डेटा के लिए एम्प्लॉई की सहमति लेनी होगी
ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि लीगल या बिजनेस उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर यूजर्स के डेटा को अपने पास बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए। नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को पूर्ण अधिकार भी देता है। यहां तक ​​कि अगर किसी एम्प्लॉयर को अटेंडेंस मार्क करने के लिए किसी एम्प्लॉई के बायोमेट्रिक डेटा की आवश्यकता होती है, तो उसे स्पष्ट रूप से कर्मचारी से सहमति की आवश्यकता होगी।
पिछला डेटा प्रोटेक्शन बिल कर दिया गया था रद्द
पिछला डेटा प्रोटेक्शन बिल इस साल की शुरुआत में संसदीय मानसून सत्र के दौरान रद्द कर दिया गया था। अब मंत्रालय ने इसका नाम बदलकर पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल कर दिया है, जो पूरी तरह से यूजर डेटा से जुड़े कानूनों पर जोर देता है। केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के ड्राफ्ट पर लोगों से उनकी राय भी मांगी है।
कंपनियां लोगों का पर्सनल डेटा अपने पास रखना बंद करें
यह ड्राफ्ट कुछ सबसे पॉपुलर सोशल मीडिया और अन्य टेक कंपनियों के इर्द-गिर्द घूमता है। डिजिटल पर्सनल डेटा बिल में कहा गया है कि डेटा इकट्ठा करने वाली कंपनियों को पर्सनल डेटा को अपने पास रखना बंद कर देना चाहिए, या उन साधनों को हटा देना चाहिए जिनके द्वारा पर्सनल डेटा को विशेष डेटा प्रिंसिपल के साथ जोड़ा जा सकता है।
बायोमेट्रिक डेटा के लिए एम्प्लॉई की सहमति लेनी होगी
ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि लीगल या बिजनेस उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर यूजर्स के डेटा को अपने पास बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए। नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को पूर्ण अधिकार भी देता है। यहां तक ​​कि अगर किसी एम्प्लॉयर को अटेंडेंस मार्क करने के लिए किसी एम्प्लॉई के बायोमेट्रिक डेटा की आवश्यकता होती है, तो उसे स्पष्ट रूप से कर्मचारी से सहमति की आवश्यकता होगी।
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल KYC डेटा को प्रभावित करेगा
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल KYC डेटा को भी प्रभावित करेगा। हर बार सेविंग अकाउंट खोलने पर KYC प्रोसेस को पूरा करने के लिए प्रतिबंध की आवश्यकता होती है। इस प्रोसेस के तहत इकट्ठा किया गया डेटा भी नए डेटा प्रोटेक्शन बिल के दायरे में आता है। बैंक को अकाउंट बंद करने के 6 महीने से ज्यादा समय के लिए KYC डेटा बनाए रखना होगा।
बच्चों के पर्सनल डेटा के लिए भी नियमों का एक नया सेट तैयार
बच्चों के पर्सनल डेटा को इकट्ठा करने और बनाए रखने के लिए नियमों का एक नया सेट भी बनाया गया है। डेटा मांगने वाली कंपनियों को डेटा तक पहुंचने के लिए माता-पिता या अभिभावक की सहमति की आवश्यकता होगी। सोशल मीडिया कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टारगेटेड एडवर्टाइजमेंट के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक नहीं किया जा रहा है।
सरकार और कंपनियों को देना होगा डेटा खर्चा का ब्योरा
सरकार हो या बड़ी टेक कंपनियां, सभी को यह बताना पड़ेगा कि आपका डाटा कहां इस्तेमाल हो रहा है। डाटा का गलत इस्तेमाल होने पर डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड में शिकायत कर सकेंगे। बड़ी टेक कंपनियां या कोई भी निजी संस्था आपके डिजिटल डाटा को किसी दूसरे के साथ आपकी इजाजत के बगैर साझा नहीं कर सकेंगी। विशेष परिस्थितियों में सरकार को इस नियम से छूट दी गई है। इस बिल के कानून बनने पर दिन भर आने वाले डिजिटल मार्केटिंग कॉल के खिलाफ भी बोर्ड में शिकायत कर सकेंगे। अगर इस प्रकार के कॉल आपकी बिना मर्जी के आ रहे हैं तो उस नंबर को सबूत मानकर शिकायत कर सकेंगे।
विवाद को सुलझाने की व्यवस्था की गई
सूत्रों के मुताबिक बिल में कंपनियों को अपनी गलती को स्वैच्छिक रूप से स्वीकारने व उसे ठीक करने का भी प्रविधान शामिल किया गया है। किसी विवाद को कोर्ट में नहीं ले जाकर अल्टरनेट डिस्प्यूट रिजोल्यूशन (एडीआर) यानी कि मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने की व्यवस्था की गई है।
मसौदे पर आईटी मंत्रालय को 21 हजार से ज्यादा सुझाव मिले
सरकार भरोसे वाले देश के साथ आपसी समझौते के तहत डाटा को साझा कर सकेगी, लेकिन गूगल, फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियों के साथ अन्य किसी भी निजी संस्था को देश से बाहर डाटा साझा करने की इजाजत नहीं होगी। पिछले साल डीपीडीपी 2022 का प्रस्तावित मसौदा जारी किया गया था। इस प्रस्तावित मसौदे पर इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय को 21666 सुझाव प्राप्त हुए।
2018 में शुरू हुई थी डीपीडीपी बिल की यात्रा
48 निजी संस्थान तो 30 से अधिक सरकारी विभागों के साथ इस मसौदे को लेकर गहन चर्चा करने के बाद बिल को अंतिम रूप दिया गया है। डीपीडीपी बिल की यात्रा वर्ष 2018 में शुरू हुई थी। 2019 में इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दी गई। फिर संसदीय समिति की सिफारिश के आधार पर नए बिल को तैयार किया गया। मंत्रालय को इस बिल को संसद से मंजूरी की पूरी उम्मीद है।
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