पहले भी हो चुकी हैं राष्ट्रपति भवन में शादी, लेकिन गार्ड की मैरिज होगी पहली बार

शिवपुरी की बेटी पूनम गुप्ता की शादी 12 फरवरी को राष्ट्रपति भवन में होगी। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब राष्ट्रपति भवन में शादी हुई हो, इससे पहले भी यहां शादी हो चुकी है।

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Ravi Singh
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राष्ट्रपति भवन

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Delhi : राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात शिवपुरी की बेटी राष्ट्रपति भवन से विदा होने जा रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सुरक्षा में तैनात पीएसओ पूनम गुप्ता की शादी 12 फरवरी को राष्ट्रपति भवन में होगी। लेकिन यह पहली बार नहीं है कि राष्ट्रपति भवन में शादी हुई हो, इससे पहले भी यहां शादी हुईं थीं। देश के पहले राष्ट्रपति के बच्चों की राष्ट्रपति भवन में शादी हो चुकी है।

तीनों बच्चों की शादियों का आयोजन

साल 1950-1962 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति भवन में अपने तीन बच्चों की शादियों का आयोजन किया था। यह घटना भारत के राजनीतिक इतिहास में एक अनोखा मोड़ साबित हुई। राष्ट्रपति भवन, जिसे पहले वायसराय हाउस कहा जाता था, ब्रिटिश साम्राज्य का प्रतीक हुआ करता था, लेकिन डॉ. प्रसाद ने इसे केवल एक सरकारी इमारत के रूप में नहीं, बल्कि अपने घर के रूप में देखा। यहीं पर, उन्होंने अपनी पारिवारिक धरोहर और संस्कृति को महत्वपूर्ण समझते हुए एक सादे लेकिन आत्मीय तरीके से शादियां संपन्न कीं।

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कैसे हुई शादियां Rashtrapati Bhavan में?

Rashtrapati Bhavan में हुई शादियां किसी शाही आयोजन की तरह भव्य नहीं थीं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद की सादगी की मिसाल को सामने रखते हुए, ये शादियां पारंपरिक भारतीय रीति-रिवाजों के तहत बेहद साधारण ढंग से संपन्न हुईं। यहां न तो कोई दिखावटी तामझाम था और न ही किसी प्रकार की राजसी ठाठ-बाट का समावेश। समारोह में केवल करीबी रिश्तेदार और कुछ गणमान्य लोग ही शामिल हुए थे। इस आयोजन ने यह दिखा दिया कि भव्यता से ज्यादा, सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्यों को महत्व दिया जाता है।

वैसे तो Rashtrapati Bhavan में वीआईपी लोगों की शादी होना आम बात है, लेकिन यह पहली बार है कि यहां एक आम परिवार की शादी हो रही है। शादी समारोह मदर टेरेसा क्राउन कॉम्प्लेक्स में होगा। इस दौरान दूल्हा-दुल्हन पक्ष के कुछ चुनिंदा लोग ही मौजूद रहेंगे। पूनम की शादी जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट अवनीश कुमार से हो रही है।

राष्ट्रपति भवन: केवल सरकारी दफ्तर नहीं, एक घर

Rashtrapati Bhavan में शादी की योजना डॉ. राजेंद्र प्रसाद के लिए एक औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं थी। उनके लिए यह केवल एक सरकारी भवन नहीं था, बल्कि उनका घर था, जहां वे पारिवारिक संबंधों को महत्व देते थे। Rashtrapati Bhavan का वह पहलू, जो पहले सिर्फ प्रशासनिक दृष्टि से देखा जाता था, डॉ. प्रसाद के लिए एक आत्मीय स्थल बन गया था। यही कारण था कि उन्होंने यहां अपने बच्चों की शादियां आयोजित करने का निर्णय लिया।

इन किताबों में है शादियों का उल्लेख..

"Dr. Rajendra Prasad: The Man and the President" – इस किताब में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनके कार्यकाल और उनके व्यक्तिगत गुणों पर प्रकाश डाला गया है।
"Rajendra Prasad: A Biography" – यह पुस्तक उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और उनके कार्यकाल के बारे में विस्तार से जानकारी देती है।
"The Great Speeches of Dr. Rajendra Prasad" – इस किताब में उनके विचार और भाषणों के माध्यम से उनकी सोच और दृष्टिकोण को समझा जा सकता है।

भारतीय रीति-रिवाजों का पालन

Rashtrapati Bhavan में आयोजित शादियों के दौरान, भारतीय संस्कृति का पूरा सम्मान किया गया। सभी विवाह संस्कार वैदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार हुए। राष्ट्रपति भवन में विवाह की रस्में पूरी तरह से भारतीय संस्कृति के अनुरूप थीं, जिसमें किसी प्रकार का विदेशी या दिखावटी तत्व शामिल नहीं था। यह उन परंपराओं का पालन था, जो भारतीय परिवारों में आज भी बड़ी श्रद्धा से निभाई जाती हैं।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की सादगी का प्रतीक

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन सादगी और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति था। उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित शादियाँ भी उनकी सादगी का प्रतीक थीं। उन्होंने साबित किया कि भारतीय संस्कृति, परिवार और परंपराएं सत्ता और दिखावे से ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। यह विवाह समारोह न केवल उनके बच्चों के लिए, बल्कि भारतीय राजनीति और समाज के लिए भी प्रेरणा बन गया।

भारतीय संस्कृति के सम्मान का प्रतीक

डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा आयोजित शादियां Rashtrapati Bhavan में एक ऐतिहासिक घटना थीं, जो न तो पहले कभी हुई और न ही इसके बाद किसी अन्य राष्ट्रपति ने इस तरह की परंपरा को दोहराया। यह घटना आज भी भारतीय राजनीति के इतिहास में एक दुर्लभ और अनोखी मिसाल के रूप में दर्ज है। उनके द्वारा राष्ट्रपति भवन को परिवार और भारतीय संस्कृति के सम्मान का प्रतीक बनाना, हमें यह सिखाता है कि सत्ता का असली उद्देश्य जनसेवा और सादगी ही होनी चाहिए, न कि विलासिता और दिखावा।

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