जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने देश के 50वें सीजेआई के रूप में शपथ ली, पिता के फैसले को पलटने के लिए जाने जाते हैं

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Atul Tiwari
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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने देश के 50वें सीजेआई के रूप में शपथ ली, पिता के फैसले को पलटने के लिए जाने जाते हैं

NEW DELHI. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज यानी 9 नवंबर को भारत के 50वें चीफ जस्ट‍िस पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित की जगह ली। जस्टिस ललित का सीजेआई के तौर पर 74 दिनों कार्यकाल था जो 8 नवंबर को पूरा हो गया। अब जस्टिस चंद्रचूड़ दो साल यानी 10 नवंबर 2024 तक चीफ जस्टिस रहेंगे। 



जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम ऐतिहासिक फैसले



हाल ही में जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक ऐतिहासिक फैसले में अबॉर्शन को लेकर बड़ा फैसला दिया था। इसमें अविवाहित या सिंगल गर्भवती महिलाओं को 24 हफ्ते तक गर्भपात करने से रोकने के कानून को रद्द कर सभी महिलाओं को ये अधिकार दिया था। साथ ही पहली बार मेरिटल रेप को परिभाषित करते हुए पति द्वारा जबरन फिजिकल रिलेशन बनाने से गर्भवती विवाहित महिलाओं को भी नया अधिकार दिया। उन्होंने कहा था कि ये समानता के अधिकार की भावना का उल्लंघन करता है।



जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों का हिस्सा भी रहे हैं। अयोध्या का ऐतिहासिक फैसला, निजता के अधिकार, व्यभिचार को अपराध से मुक्त करने और समलैंगिता को अपराध यानी IPC की धारा 377 से बाहर करने, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश, और लिविंग विल जैसे बड़े फैसले दिए हैं। वे उन जजों में से एक हैं, जिन्होंने कभी-कभी अपने साथी जजों के साथ सहमति भी नहीं जताई। आधार के फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने मेजॉरिटी से असहमति जताते हुए कहा था कि आधार को असंवैधानिक रूप से धन विधेयक के रूप में पारित किया गया था और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था। 



उन्होंने भीमा कोरेगांव में कथित रूप से हिंसा भड़काने के आरोपी पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से संबंधित एक मामले में भी असहमति जताई थी, जबकि बेंच के अन्य दो जजों ने पुणे पुलिस को कानून के अनुसार अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को मेहनती जज कहा जाता है। अपने पिछले जन्मदिन (11 नवंबर) पर भी उन्होंने कई घंटों तक काम किया था।



दो दिन बाद ही सीजेआई चंद्रचूड़ का जन्मदिन



चीफ जस्ट‍िस डीवाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था. उनका पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की। इसके बाद वे प्रतिष्ठित InLaks स्‍कॉलरशिप लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। हार्वर्ड में उन्होंने लॉ में मास्‍टर्स (LLM) और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट (SJD) किया। उन्‍होंने ऑस्‍ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्‍कूल, येल लॉ स्‍कूल और University of Witwatersrand (साउथ अफ्रीका) में लेक्‍चर्स भी दिए हैं।



जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता के नाम रिकॉर्ड



29 मार्च 2000 को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को बॉम्बे हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था। 31 अक्टूबर 2013 को वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए। चीफ जस्टिस यूयू ललित के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 50वें चीफ जस्टिस के रूप में काम करेंगे। वे भारत के 16वें और सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं।



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पिता जस्टिस वीईवी चंद्रचूड़ के फैसले को बदला था



जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने 1976 के ADM जबलपुर केस में पूर्व चीफ जस्टिस और अपने पिता वीवाई चंद्रचूड का फैसला पलट दिया था। उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट के अपने फैसले में कहा कि निजता का अधिकार संविधान का अभिन्‍न हिस्‍सा है। उन्‍होंने पूर्व सीजेआई के फैसले को 'गंभीर रूप से गलत' बताया था, जिसे तत्‍कालीन चीफ जस्टिस जे एस खेलकर, जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एस ए नजीर का समर्थन भी मिला था।



यहां रह चुके हैं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़



बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बनने से पहले उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट और गुजरात, कलकत्ता, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश और दिल्ली हाईकोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस की है। उन्हें 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था। 1998 से 2000 तक वे भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) रहे। एक वकील के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ के अहम केसेज में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, HIV+ मरीजों के अधिकार, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक अधिकार और श्रम और औद्योगिक कानून शामिल हैं।


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