अमिषा कछावा @ भोपाल
देश और प्रदेश में भीषण गर्मी का दौर जारी है। अब सूर्य के कृतिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही नौतपा का भी आगाज हो गया है। प्रदेशभर में भीषण गर्मी पड़ रही है। 2 जून तक तेज गर्मी रहेगी, क्योंकि सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ेंगी। नौतपा के नौ दिन में भगवान सूर्य की उपासना का भी विशेष विधान है। ये नौ दिन साल के सबसे गर्म दिन माने जाते हैं। नौतपा अगर न तपे तो क्या होता है? इसे लेकर लोक संस्कृतिविद् दीपसिंह बताते हैं कि लू तो बेहद जरूरी है।
वे कहते हैं...
दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय।
दो की बादी जळ हरै, दो विश्वर दो वाय।।
यानी नौतपा के पहले दो दिन लू ना चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन ना चली तो कातरा यानी फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट की संख्या बढ़ जाती है। तीसरे दिन से दो दिन लू ना चले तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होते। चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरते। इसके बाद दो दिन लू ना चले तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। आखिरी दो दिन भी लू ना चले तो आंधियां अधिक चलती की संभावना रहती है।
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31 मई तक भीषण गर्मी का अलर्ट
मौसम विज्ञान केंद्र भोपाल ( Meteorological Center Bhopal ) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश में 31 मई तक भीषण गर्मी का अलर्ट जारी किया है। राज्य के ग्वालियर, चंबल, इंदौर-उज्जैन संभाग में तेज गर्मी पड़ेगी। अन्य जिलों में भी हीट वेव, यानी गर्म हवाओं का असर रहेगा।
नौतपा में इन बातों का रखें ध्यान
- डॉ.उमेश पटेल ने बताया कि गर्मी के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। नौतपा के दौरान ठंडी तासीर वाली चीजों खाना चाहिए। पानी खूब पिएं। अपने भोजन में दही और फलों को शामिल करें।
- पंडित सत्यनारायण शर्मा कहते हैं, नौतपा में भगवान सूर्य की उपासना का विशेष महत्व माना गया है। भगवान भास्कर को नौतपा में अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही उनके वैदिक मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायी होती है।
- पंडित राजेंद्र दीक्षित ने सूर्य उपासना की विधि बताते हुए कहा कि सुबह जल्दी उठकर ठंडे जल से स्नान करें। इसके बाद एक तांबे के लोटे में जल, फूल, अक्षत, गुड़, रोली इत्यादि चीजें मिला लें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाएं।
- सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय माना गया है। जल चढ़ाते समय ॐ आदित्याय नम: सूर्य मंत्र अथवा गायत्री मंत्र का जाप करें।
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