New Delhi. मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भविष्य निधि यानि ईपीएफ की दरों की घोषणा की जा सकती है, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन बोर्ड की दो दिनी बैठक शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि यह बैठक मंगलवार तक चलेगी, जिसके बाद श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ईपीएफ दरों का ऐलान कर सकते हैं। जिसका सीधा असर 6 करोड़ ईपीएफ खाताधारकों पर पड़ना है।
कर्मचारी भविष्य निधि बोर्ड की इस बैठक में ईपीएफ दरों के अलावा ईपीएफओ के एनुअल खातों के साथ ही ईपीएस 1995 के तहत ज्यादा पेंशन पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों को 4 माह के विकल्प देने के पर लिए गए फैसले को लेकर भी चर्चा होनी है। ईपीएफओ ने अपने खाताधारकों को 3 मई 2023 तक विकल्प चुनने की मोहलत दी है। साथ ही सीबीटी के सदस्य फंड का पैसा अडाणी समूह के स्टॉक्स में लगाए जाने का मुद्दा भी बैठक में उठा सकते हैं। बता दें कि ईपीएफ की दरों पर फैसला लेने के बाद वित्त मंत्रालय से तय ब्याज दर को लेकर मंजूरी ली जाएगी।
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बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संस्थान एलआईसी के बाद सबसे बड़ी वित्तीय संस्था है जो संगठित क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई को संभालती है। कर्मचारी अपने वेतन में से बेसिक सैलरी का 12 फीसद इसमें योगदान करते हैं, साथ ही नियोक्ता भी अपनी ओर से इतना ही योगदान जमा कराता है। ईपीएफओ में जमा रकम कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति, घर, बच्चों की शिक्षा और विवाह में भी काम आता है। माना जाता है कि ईपीएफओ के अनुमानित 6 करोड़ सदस्य हैं और संस्थान कर्मचारियों के 27.73 लाख करोड़ रुपए को मैनेज करता है।
बीते वर्ष 12 मार्च 2022 को ईपीएफओ बोर्ड ने 2021-22 के लिए ईपीएफ रेट को घटाकर 8.1 फीसदी करने का फैसला लिया था जो 43 साल में सबसे न्यूनत्तम ईपीएफ रेट था। ट्रेड यूनियन से लेकर राजनीतिक दलों ईपीएफ रेट घटाने के फैसले का जबरदस्त विरोध भी किया था। 2020-21 में यह दर 8.5 फीसदी हुआ करती थी, तब सरकार ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि किसी भी निवेश योजनाओं के मुकाबले ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज सबसे ज्यादा है। साथ ही पोस्ट ऑफिस के सेविंग रेट के मुकाबले दोगुना है, 2019-20 में ईपीएफ रेट 8.5 फीसदी तो 2018-19 के लिए 8.65 फीसदी था।