बड़ा सवाल: कम आय वाले परिवार हैं तो इतनी फीस कैसे भर रहे?
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS, वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख से कम) से संबंधित 140 से अधिक उम्मीदवारों ने निजी मेडिकल कॉलेजों के मैनेजमेंट और एनआरआई कोटे से क्लिनिकल स्पेशियलिटी में पोस्टग्रेजुएट सीटें चुनी हैं, जिनकी वार्षिक फीस 25 लाख से लेकर 2.90 करोड़ रुपए तक है। यह देखकर कई उम्मीदवार सवाल उठा रहे हैं कि अगर ये छात्र वास्तव में ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आते हैं, तो वे तीन साल के पीजी कोर्स के लिए करोड़ों रुपए की फीस कैसे भर रहे हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 20 नवंबर 2024 को मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटों के पहले दौर की काउंसलिंग का रिजल्ट घोषित किया गया। इसमें 24 हजार 600 से अधिक आवंटित सीटों में से 135 सीटें निजी मेडिकल कॉलेजों के मैनेजमेंट कोटे से EWS उम्मीदवारों को दी गईं। इसके अलावा एनआरआई कोटे की 8 सीटें भी ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को आवंटित की गईं।
उदाहरण के लिए, पुडुचेरी स्थित श्री लक्ष्मी नारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में मैनेजमेंट कोटे से एमएस ऑर्थोपेडिक्स सीट, जिसकी पूरी कोर्स फीस 16 करोड़ रुपए है, एक ईडब्ल्यूएस उम्मीदवार को आवंटित की गई। इसी तरह, मैसूर के राजराजेश्वरी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के एनआरआई कोटे से एमडी रेडियोलॉजी सीट, जिसकी वार्षिक फीस 2.91 करोड़ रुपए है, एक ईडब्ल्यूएस उम्मीदवार को मिली।
फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र का आरोप
नीट पीजी के सामान्य वर्ग के ही उम्मीदवारों ने आरोप लगाया है कि फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र का दुरुपयोग तेजी से बढ़ रहा है और सरकार से जांच की मांग की। एक उम्मीदवार ने कहा, "काउंसलिंग के नतीजे देखकर निराशा होती है। ईडब्ल्यूएस उम्मीदवार करोड़ों की फीस वाले कॉलेजों में दाखिला ले रहे हैं। अगर वे ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आते हैं, तो इतनी फीस कैसे भर रहे हैं? सरकार इन प्रमाण पत्रों को कैसे जारी कर रही है? सरकार को इन छात्रों की सीटें रद्द करनी चाहिए।"
FAQ
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक