हल्दी के ज्यादा सेवन से हो सकते हैं 6 नुकसान, तो फिर कितनी खाएं?

हल्दी को हमारे शरीर के लिए बेहद कारगर माना जाता है। यह मसाला तो है ही साथ ही आयुर्वेदिक बूटी भी है। भारत में तो हजारों वर्षोें से इसकी महत्ता रही है और प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अलावा देश के आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी इसके महत्व की जानकारी दी गई है।

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Dr Rameshwar Dayal
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Turmeric Harmful
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New Delhi: भोजन के मसालों में हल्दी को अब पूरी दुनिया में एक विशेष मसाला माना गया है। हजारों वर्षों से प्रयोग में लाई जा रही हल्दी एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) है, जो शरीर को रोगाणुओं से बचाती है और घाव या चोट को भी ठीक करने में मददगार है। यह सूजन (Anti-Inflammatory) में भी लाभकारी मानी जाती है। रिसर्च बताते हैं कि Turmeric में करीब दर्जन भर मिनरल्स पाए जाते हैं और भोजन के अलावा अन्य रूपों में भी इसका उपयोग किया जाता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि स्वास्थ्य के लिए लाभकारी Turmeric क्या शरीर के लिए नुकसानदायक भी है, तो हम कह सकते हैं कि इसका अधिक सेवन शरीर के सिस्टम में गड़बड़ी पैदा कर सकता है। इसका अधिक सेवन शरीर के कुछ अंगों को नुकसान भी पहुंचा सकता है। आइए- हम हल्दी के बारे में आपको डिटेल में जानकारी देते हैं। 
Turmeric के अत्यधिक प्रयोग को लेकर ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित है और बताया है कि इसका ज्यादा सेवन किस प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है।  

पाचन को बिगाड़ सकती है turmeric 

Turmeric पेट में पित्त को बढ़ा सकती है, यानि इसका ज्यादा सेवन पेट में एसिड के लेवल को बढ़ा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार अधिक Turmeric शरीर में जठराग्नि (Gastric Juice) बढ़ा सकती है, विशेष रूप से उन व्यक्तियों में, जिनकी पाचन शक्ति पहले से ही मजबूत होती है। पेट में अधिक एसिड बढ़ने से कुछ लोगों में विशेषकर जो गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं, उन्हें पाचन तंत्र में जलन हो सकती है।

किडनी स्टोन की संभावना

Turmeric में ऑक्सलेट्स (प्राकृतिक पाचक रसायन) होते हैं, जो शरीर में कैल्शियम के साथ मिलकर कैल्शियम ऑक्सलेट क्रिस्टल बना सकते हैं, जिसके चलते किडनी में स्टोन की समस्या पैदा हो सकती है। 

रक्त को पतला करने वाले प्रभाव 

भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में Turmeric को रक्त पतला करने वाले (एंटीकोएगुलेंट) प्रभावों के रूप में देखा गया है। यह उन लोगों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है जो एंटीकोएगुलेंट दवाओं पर हैं या जिन्हें सर्जरी का सामना करना है।

आयरन की कमी की संभावना

Turmeric का सक्रिय तत्व करक्यूमिन (पीला रंग) शरीर में आयरन के अवशोषण को कम कर सकता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि Turmeric का अगर अधिक सेवन किया गया तो यह शरीर में आयरन को कम कर सकती है। खासकर यदि लंबे समय तक इसे अधिक मात्रा में लिया जाए।

ब्लड प्रेशर भी घटा सकती है

Turmeric में पाया जाने वाला करक्यूमिन रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है। जिन लोगों का ब्लड प्रेशर कम रहता है या जो हाई बीपी को कंट्रोल करने की दवाएं ले रहे हैं, उनके लिए हल्दी जोखिमपूर्ण हो सकती है क्योंकि इससे ब्लड प्रेशर घट सकता है। 

सिरदर्द और चक्कर 

Turmeric में मिनरल्स की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसका अधिक सेवन कुछ लोगों के लिए सिरदर्द और चक्कर जैसी संभावनाएं बना सकता है। इसलिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि इसका उचित मात्रा में सेवन किया जाए। 

सामान्य मात्रा क्या है?

Turmeric को रोजमर्रा के आहार में शामिल करना लाभकारी हो सकता है। जॉन हॉपकिन्स मेडिसिन के अनुसार करक्यूमिन का प्रभाव तब अधिक बढ़ जाता है जब इसे काली मिर्च में पाए जाने वाले पिपरीन के साथ लिया जाए। Turmeric की अनुशंसित मात्रा आम तौर पर प्रतिदिन 500 से 2000 मिलीग्राम के बीच होती है। तो याद रखें कि अधिक Turmeric का सेवन हर हाल में करने से बचें। 

मिनरल्स से भरपूर है हल्दी 

दूसरी ओर ‘द सूत्र’ ने अपनी खोज में पाया है कि Turmeric में शरीर को लाभ पहुंचाने वाले मिनरल्स भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। मसाला प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले व भारत की एग्मार्क लेब के संस्थापक निदेशक जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spices And Condiments’ में जानकारी दी है कि हल्दी में कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, सोडियम, पोटिशियम के अलावा कई ऐसे विटामिन्स व खनिज पाए जाते हैं, जो दूसरे मसालों में नहीं है या बहुत कम हैं। उनका कहना है कि भोजन का स्वाद व विशेष गंध देने के लिए इसका उपयोग होता है। इसके अलावा दवाइयों व मिठाइयों में तो इसका इस्तेमाल होता है, साथ ही इसे रंजक (रंगने वाला) भी माना जाता है। भारत में धार्मिक प्रायोजनों के अलावा सौंदर्य प्रसाधनों में इसका उपयोग आम है। 

आयुर्वेद में हल्दी का चमत्कारी बताया गया है

देसी-विदेशी रिसर्च के अनुसार Turmeric की उत्पत्ति भारत में मानी जाती है। भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथ अथर्ववेद में हल्दी को शरीर के शुद्धिकरण के लिए उपयोगी माना जाता है। वैदिक युग में सूर्यदेव की पूजा में इसे विशेष बताया गया है। भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ व ‘सुश्रुतसंहिता’ आदि में Turmeric को चमत्कारिक बताया गया है। इसे हृदय के लिए हितकर, सुगंधित व कफ-वातनाशक भी कहा गया है। इसको को दर्द निवारण के लिए विशेष औषधि भी माना जाता है। 

4000 साल से उपयोग में है हल्दी

अमेरिकी शोध संस्थान द मैककॉर्मिक साइंस इंस्टीट्यूट (The McCormick Science Institute) का कहना है कि भारत में Turmeric का उपयोग 4000 साल पहले वैदिक संस्कृति से हो रहा है। विशेष बात यह है कि 20वीं शताब्दी तक पश्चिमी दुनिया Turmeric के उपयोग और गुणों से अनजान थी। लेकिन अब तो पश्चिमी दुनिया में भी हल्दी की लोकप्रियता बढ़ गई है। आयुर्वेद कहता है कि अगर Turmeric का उचित मात्रा में सेवन किया जाए तो यह उम्र बढ़ने की गति को धीमे करने में मदद करती है।

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