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Solapur. देश में टमाटर की हालत ऐसी हो गई है कि कौड़ियों के दाम पर बिक रहा है। वहीं अब प्याज की बंपर पैदावार के बाद उसके दामों में भी काफी नरमी आने की संभावना है। उधर महाराष्ट्र के सोलापुर में तो एक किसान ने अपनी करीब 5 क्विंटल प्याज की उपज व्यापारी को बेची। उपज के दाम मिलने के बाद जब किसान ने हिसाब लगाया तो इतने महीने धूप में खुदको पिघलाने के बाद उसे यह पता चला कि उसने केवल ढाई रुपए का मुनाफा ही कमाया है, तो उसके होश फाख्ता हो गए।
1 रुपए किलो के हिसाब से बिकी प्याज
सोलापुर की बार्शी तहसील में रहने वाले किसान राजेंद्र चव्हाण (63 वर्षीय) ने बताया कि सोलापुर मार्केट यार्ड में उनकी प्याज की पैदावार की कीमत एक रुपये प्रति किलोग्राम थी । सभी कटौतियों के बाद उन्हें पिछले हफ्ते अपने शुद्ध लाभ के रूप में यह ढाई रुपए की मामूली राशि मिली।
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लोडिंग, भाड़ा, पल्लेदारी कटने के बाद हासिल शून्य
किसान ने कहा, मैंने सोलापुर के एक प्याज व्यापारी को बिक्री के लिए पांच क्विंटल से ज्यादा वजन के प्याज के दस बोरे भेजे थे। लेकिन लोडिंग, परिवहन, श्रम और अन्य शुल्क के कटने के बाद मुझे सिर्फ 2.49 रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया, व्यापारी ने मुझे जिस दर की पेशकश की थी, वह सौ रुपये प्रति क्विंटल थी। उन्होंने बताया कि फसल का वजन 512 किलोग्राम था और उपज के लिए उन्हें कुल कीमत 512 रुपये मिली।
किसान ने दावा किया कि उपज अच्छी गुणवत्ता की थी, लेकिन व्यापारी ने कहा कि यह निम्न श्रेणी का है। वहीं व्यापारी ने कहा, किसान केवल 10 बोरे लाया था और उपज भी निम्न श्रेणी की थी। यही कारण है कि उन्हें 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर मिली। इसलिए सभी कटौतियों के बाद उन्हें शुद्ध लाभ के रूप में 2 रुपये मिले। उन्होंने यह भी कहा कि उसी किसान ने हाल के दिनों में मुझे 400 से ज्यादा बोरे बेचकर अच्छा रिटर्न प्राप्त किया था। इस बार वह बचीखुची उपज लाया था, जो मुश्किल से दस बोरे थी। चूंकि कीमत कम हो गई, इसलिए उन्हें यह दर मिली।
दरअसल प्याज की अधिकता के कारण बाजार में प्याज की कीमतों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि यह प्याज भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) द्वारा नहीं खरीदा जाता है। इसलिए एक मात्र विकल्प यह है कि सरकार इस खरीफ प्याज के लिए बाजार उपलब्ध कराए।