NEW DELHI. नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने किताबों में मुगल युग से संबंधित सामग्री में बदलाव के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की आलोचना की है। उन्होंने रविवार 9 अप्रैल को तर्क दिया कि मुगल साम्राज्य का भारत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा क्योंकि उन्होंने 800 वर्षों तक देश पर शासन किया और उनकी विरासत को भुलाया नहीं जा सकता।
वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई को डर नहीं लगा। जब वे ताजमहल दिखाएंगे, तो वे क्या कहेंगे कि इसे किसने बनवाया? वे फतेहपुर सीकरी के बारे में क्या कहेंगे, जहां मुगल साम्राज्य की राजधानी दिल्ली से पहले थी? वे हुमायूं के मकबरे और लाल किले को कैसे छिपाएंगे? वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। इतिहास नहीं बदलेगा। हम नहीं रहेंगे, लेकिन इतिहास रहेगा। आप शाहजहां, औरंगजेब, बाबर, अकबर और जहांगीर जैसे मुगल शासकों को कैसे भूल सकते हैं।
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"तारीखों को इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता"
उन्होंने आगे दावा किया कि मुगलों ने पूरे भारत में कई स्मारकों का निर्माण किया। इनमें से कुछ को अंतरराष्ट्रीय विरासत की मान्यता प्राप्त है और इसलिए सरकार कितनी भी कोशिश कर ले, वह इतिहास को नहीं बदल सकती है। तारीखों को इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता। अब्दुल्ला की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एनसीईआरटी की ओर से महात्मा गांधी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध से संबंधित कुछ सामग्री को हटाने को लेकर विवाद चल रहा है।
एनसीईआरटी के निदेशक ने क्या कहा?
इस बीच एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने आरोपों को झूठ करार देते हुए न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि मुगलों से जुड़े चैप्टर को हटाया नहीं गया था। 11वीं क्लास की किताब के सेक्शन-2 में मुगलों का इतिहास पढ़ाया जा रहा है। वहीं 12वीं कक्षा की किताब में मुगलों के इतिहास पर 2 चैप्टर थे, जिसमें से थीम नौ को पिछले साल हटा दिया गया था। जबकि थीम आठ अभी भी छात्रों को पढ़ाया जा रहा है। इस साल किसी भी किताब से कोई अध्याय नहीं हटाया गया है।