सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक संपत्ति पर महिलाओं के अधिकार ( ownership of women in family property ) से जुड़े मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत अविभाजित हिंदू परिवार ( Hindu Undivided Family ) की संपत्ति पर हिंदू महिला का पूर्ण अधिकार तब ही होगा, जब वह संपत्ति उसके कब्जे में हो। Hindu Succession Act, 1956 ( हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 ) के सेक्शन 14 (1) में इस स्थिति को समझाया गया है।
परिवार की संपत्ति पर महिला का अधिकार
सेक्शन 14 (1) के अनुसार पैतृक संपत्ति पर अपना पूर्ण अधिकार ( ownership of women in huf property ) सिद्ध करने वह संपत्ति हिंदू महिला के कब्जे में होनी चाहिए। हालांकि संपत्ति पाने के लिए यह इकलौती शर्त नहीं है। इसके अलावा वह संपत्ति महिला द्वारा अर्जित की होनी चाहिए। किसी वसीयत, विरासत या रख- रखाव के बदले महिला के पास जमीन का अधिग्रहण होना चाहिए। इसके अलावा अगर महिला को उपहार में भी संपत्ति दी गई है तब भी उसका इस पर पूर्ण स्वामित्व ( possession ) होगा।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में एक केस आया था। इस केस की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया की अविभाजित हिंदू परिवार की संपत्ति पर अधिकार जताने के लिए, संपत्ति महिला के कब्जे में होनी चाहिए। इस कोर्ट केस से ही पैतृक संपत्ति पर अधिकार की पूरी स्थिति समझते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में केस
सुप्रीम कोर्ट में एक केस चल रहा था जिसमें एक विधवा महिला का गोद लिया हुआ बेटा संपत्ति पर मां का अधिकार होने के कारण बंटवारे की मांग करता है। केस के अनुसार हिंदू अविभाजित परिवार की जमीन पति की मृत्यु के बाद विधवा महिला की हो गई। हालांकि महिला का इस संपत्ति पर कब्जा नहीं है। अर्थात वह इस जमीन पर रहती नहीं है। ऐसे में संपत्ति पर कब्जा न होने के कारण मुकदमा खारिज कर दिया गया। गोद लिये बेटे को जमीन के बंटवारे का अधिकार नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि महिला का हिंदू अविभाजित परिवार में हिस्सा है इसलिए उसे जमीन का पूर्ण अधिग्रहण नहीं दिया जा सकता। महिला का उस जमीन पर कोई कब्जा नहीं है।
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