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New Delhi. भारतवासी अब अपनी सरजमीं को छोड़ रहे हैं। अच्छी नौकरी और अच्छे मेहनताने की वजह से लाखों की तादाद में इंडियंस ने दूसरे मुल्कों को अपना ठिकाना बनाया है। अकेले बीते साल की बात की जाए तो 3 लाख 70 हजार लोगों ने अपने सपनों को पूरा करने देश छोड़ दिया। संसद में पेश किए गए एक दस्तावेज में बताया गया है कि इमिग्रेशन एक्ट 1983 के तहत 3 लाख 73 हजार 4 सौ चौतीस भारतीयों का इमिग्रेशन क्लियरेंस जारी किया गया, इनमें 10 हजार से ज्यादा तो पंजाब के रहवासी थे।
इन 18 देशों का किया रुख
इमिग्रेशन एक्ट, 1983, भारत के नागरिकों को विदेशों में रोजगार करने का अवसर प्रदान करता है। इस कानून के तहत 18 देशों में भारतीय को रोजगार के लिए इमिग्रेशन क्लियरेंस जारी किया जाता है। यह देश हैं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, इंडोनेशिया, कतर, ओमान, कुवैत, बहरीन, मलेशिया, लीबिया, जॉर्डन, यमन, सूडान, दक्षिण सुडान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, सीरिया, लेबनान और थाईलैंड। संसद में यह सवाल शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने लगाया था जिसके जवाब में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी।
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जवाब में राय ने बताया कि साल 2001 से 2011 तक पंजाब राज्य में जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर 13.9 रही। वहीं ई-माइग्रेट पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में पूरे देश में कुल 3 लाख 73 हजार 434 इमिग्रेशन क्लीयरेंस जारी किए गए थे जिसमें से 10 हजार 654 क्लियरेंस केवल पंजाब से जारी किए गए।
यूनाइटेड नेशन्स की रिपोर्ट इस पलायन पर बेहद ही अच्छे तरीके से रोशनी डालती है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 तक 1.8 करोड़ भारतीय विदेशों में रह रहे थे,हैरानी वाली बात ये है कि भारतीयों की जितनी आबादी विदेशों में है, उतनी तो कई देशों की जनसंख्या भी नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक यूएई, यूएसए और सउदी अरब में सबसे ज्यादा भारतीयों ने पलायन किया। इन 3 देशों के अलावा कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में भी काफी ज्यादा संख्या में भारतीय बसे हुए हैं।