भारतीय संविधान में भी ''भारत'' और इंडिया दोनों कहने की आजादी, अगर हम ''इंडिया'' से ''भारत'' हो जाएं तो इसकी आलोचना क्यों?

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Pratibha Rana
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भारतीय संविधान में भी ''भारत'' और इंडिया दोनों कहने की आजादी, अगर हम ''इंडिया'' से ''भारत'' हो जाएं तो इसकी आलोचना क्यों?

BHOPAL. आज 'इंडिया' का नाम 'भारत' करने को लेकर देशभर में 'इंडिया' पर चर्चा हो रही है। संव‍िधान में इंडिया का नाम बदलकर भारत होगा या नहीं, इस पर संसद में बिल लाकर क्या तय होगा, ये सब तो चर्चा में है ही, इससे ज्यादा लोग ये सोच रहे हैं कि अगर इंडिया का नाम भारत हो गया तो कितना कुछ बदल जाएगा। क्या हर वो नाम बदल जाएगा, जिसमें इंडिया शब्द जुड़ा है इसको लेकर कई भ्रांतियां हैं तो बहस का मुद्दा भी बनता जा रहा है। देश में मंगलवार (5 सितंबर) को जी-20 समारोह के इन्विटेशन कार्ड पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा वायरल होते ही इसका विरोध भी शुरू हो गया। अगर हम अपने राजनीतिक मानदंडों को अलग रखकर सोचें तो 'भारत' में बुराई क्या है? अगर दुनियाभर में लोग हमें भारतीय के रूप में जाने तो इसकी आलोचना क्यों?





सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में याचिका को खारिज कर दिया था





इससे पहले 2016 में सुप्रीम कोर्ट के सामने भी इंडिया का नाम बदलकर भारत करने संबंधी याचिका दायर की गई, जिसे तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने खारिज कर दी थी। तब जस्टिस टीएस ठाकुर और यूयू ललित की बेंच ने ऐसी याचिकाओं पर नाराजगी भी जाहिर की थी। इस बार याचिकाकर्ता का नाम निरंजन भटवाल था, जो महाराष्ट्र का सामाजिक कार्यकर्ता थे। तब भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था अगर वे इसे भारत कहना चाहें तो कह सकते हैं। कोई किसी को रोक नहीं रहा है। इस आदेश से पहले सुप्रीम कोर्ट की पीठ का नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्ता ने किया था, जिन्होंने अप्रैल 2016 में भटवाल की जनहित याचिका पर केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रतिक्रिया मांगी थी।





संविधान के आर्टिकल-1 में कहा गया इंडिया दैट इज भारत





हालांकि, याचिका में ये पैरवी की गई थी कि संविधान के आर्टिकल-1 में कहे गए इंडिया दैट इज भारत, यूनियन ऑफ स्टेट्स यानि इंडिया जो भारत है, जो राज्यों का संघ है इस वाक्य से इंडिया शब्द को हटाएं। तब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसा क्यों करें जब संविधान भारत और इंडिया दोनों नामों के इस्तेमाल की इजाजत देता है। भारत के नागरिक को आजादी है कि वो अपने देश को चाहे भारत कहे या फिर इंडिया।





याचिका में संविधान सभा की बहस का जिक्र







— ANI (@ANI) June 2, 2020





सुप्रीम कोर्ट में 2 जून 2020 मंगलवार को संविधान में इंडिया की जगह भारत शब्द का प्रयोग करने को लेकर याचिका दायर की गई थी। दिल्ली के निवासी याचिकाकर्ता का कहना है कि इंडिया शब्द से गुलामी झलकती है और यह भारत की गुलामी का निशान है। इसलिए इस शब्द की जगह भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि जब देश एक है तो उसके दो नाम क्यों है? याचिका में अनुच्छेद 1 में शामिल प्रावधानों को लेकर 1948 में हुई संविधान सभा की बहस का जिक्र है। याचिका में कहा गया है कि संविधान सभा में देश का नाम भारत या हिंदुस्तान करने पक्ष में मजबूत लहर थी। अब समय है कि देश को उसकी असली पहचान से जाना जाए। यह ऐसा वक्त है जब हम अपने शहरों को भी प्राचीन नाम दे रहे हैं।





कैसे उत्पत्ति हुई भारत और इंडिया नाम की





कुछ चीजों का प्रतीकात्मक महत्व है। भारत शब्द से हमारी अस्मिता जुड़ी हुई है। उसे अगर संवैधानिक रूप दिया जाए तो इसमें बुराई क्या है। इसलिए अपनी प्राचीन संस्कृत और सभ्यता से आए शब्द को अगर संवैधानिक रूप से थोड़ी अधिक महत्ता मिल जाए तो इसका विरोध क्यों? आइए जानते हैं कैसे उत्पत्ति हुई भारत और इंडिया नाम की...





प्राचीन और एतिहासिक धर्मग्रंथों में मिलता है 'भारत' नाम





भारतवर्ष नाम हमारे प्राचीन एतिहासिक किताबों और धर्मग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है कि राजा ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा है। पुराणों के अनुसार नाभिराज के पुत्र थे भगवान ऋषभदेव और उनके पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। स्कन्द पुराण (अध्याय 37) विष्णुपुराण (2,1,31), वायुपुराण (33,52), ब्रह्माण्डपुराण (14,5,62), अग्निपुराण (107,11-12) और मार्कण्डेय पुराण (50,41), में भी भारत को लेकर ऐसी बातें कहीं गईं हैं। पुराणों से पहले ऋग्वेद में भी इस तरह का वर्णन मिलता है। दस राजाओं के युद्ध में भारत नामक जनसमूह के राजा सुदास का नाम आया है। इस जनसमूह से भी भारतवर्ष का नाम आया है। 





'इंडिया' का अर्थ विदेशों में मूल निवासियों से लगाया जाता है





इंडिया नाम संस्कृत के शब्द सिंधु से लिया गया है, जो सिंधु नदी के नाम से निकला है। सिंधु नदी भारत की सबसे लंबी नदी हुआ करती थी। सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की सबसे प्रारंभिक सभ्यताओं में से एक थी। 'सिंधु' को फारसियों ने 'हिंदू' कहा। यूनानियों ने भी इसे अपनाया, पर उन्होंने इसका उच्चारण 'इंडस' किया। इंडस शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। यूनान के इतिहासकार हेरोटोस ने 440 ईसा पूर्व इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने तुर्की और ईरान से इंडिया की तुलना करते हुए कहा था कि इंडिया स्वर्ग जैसा है। जहां की मिट्टी उपजाऊ है और जिस क्षेत्र में काफी ज्यादा आबादी रहती है। वर्ल्ड हिस्ट्री वेबसाइट के मुताबिक 300 ईसा पूर्व पहली बार यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने सिंधु नदी के पार के इलाके के लिए इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया।





इंडिया के बदले भारत के सबसे बड़े पैरोकार थे हरी विष्णु कामथ





1948 में संविधान सभा में बहस के दौरान चर्चा हुई कि देश का नाम क्या रखा जाए। ब्रिटिश हमारे देश के लिए हमेशा इंडिया शब्द का इस्तेमाल करते थे। ब्रिटिश चाहते थे इंडिया को दो भागों में बांटकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान बना दें। इसका जबरदस्त विरोध हुआ। कहा गया कि जिन्ना अपने देश को पाकिस्तान बोलें या जो चाहें वो नाम रख लें पर हमारा देश इंडिया या भारत ही था और भारत ही रहेगा। स्वतंत्रता सेनानी चाहते थे कि हमारी ओरिजिनलिटी की पहचान बनी रहे। संविधान सभा में इंडिया के बदले भारत के सबसे बड़े पैरोकार थे, हरी विष्णु कामथ। कामथ का यह भी तर्क था कि सिर्फ इंग्लिश देशों में ही भारत को इंडिया बोला जाता है जबकि इटली, फिनलैंड, तुर्की, रोमानिया, फ्रांस जैसे कई गैर-अंग्रेजी देश हमारे देश को हिंदुस्तान बोलते थे। संविधान सभा में इसके लिए वोटिंग हुई 51 के मुकाबले मात्र 38 वोट ही भारत के समर्थन में मिले और संशोधन नहीं हो सका। 





इंडिया बनाम भारत बहस छिड़ने का कारण  





बार-बार इंडिया और भारत के नाम पर मुद्दा उठता रहा है। 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट में संविधान से इंडिया शब्द हटाने को लेकर याचिका दायर की गई थी तब कोर्ट ने यह कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि संविधान में भारत ही है। अब कयास भी लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार 18 से 22 सितंबर के दौरान आयोजित होने वाले संसद के विशेष सत्र में भारतीय संविधान से 'इंडिया' शब्द हटाने से जुड़े बिल को पेश कर सकती है। आरएसएस प्रमुख देश के लोगों से अपील कर चुके हैं कि वे इंडिया के बजाय भारत शब्द का इस्तेमाल करें। उधर, जी-20 देशों के सम्मेलन में 9 सितंबर को भारत मंडपम में रात के खाने पर भेजे गए इनविटेशन कार्ड पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है।



 



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