गोवा के डॉक्टरों की मंत्री विश्वजीत राणे को चेतावनी, 24 घंटे में सार्वजनिक माफी मांगें...नहीं तो होगा आंदोलन!

गोवा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे के खिलाफ विरोध एक दिन के लिए स्थगित किया है और 24 घंटे में CMO डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर से सार्वजनिक माफी की मांग की है।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Doctors demand apology from health minister of Goa Vishwajeet Rane
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गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH) के डॉक्टरों ने सोमवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे के खिलाफ अपना विरोध एक दिन के लिए स्थगित कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि मंत्री ने अगले 24 घंटे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर से व्यक्तिगत रूप से माफी नहीं मांगी, तो आंदोलन फिर तेज किया जाएगा।

दरअसल, शनिवार को GMCH में हुई एक घटना के दौरान गोवा स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने CMO डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर को मरीजों से दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक रूप से निलंबित कर दिया था। इस निर्णय ने चिकित्सा समुदाय में भारी नाराजगी पैदा कर दी।

मुख्यमंत्री ने संभाला मोर्चा

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हालात को संभालने की कोशिश करते हुए रविवार को विवादित निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया और सोमवार को डॉक्टरों से बातचीत के लिए अपने सरकारी आवास पर एक बैठक की। इस बैठक में GMCH डीन डॉ. शिवानंद बांदेकर, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश पाटिल और गोवा एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एवं कंसल्टेंट्स के प्रतिनिधि शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद बताया कि डॉक्टरों ने 10 मांगें रखी थीं, जिनमें से अधिकांश को स्वीकार कर लिया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि वे मंगलवार को GMCH जाकर डॉक्टरों से सीधे मुलाकात करेंगे।

सोशल मीडिया माफी से नहीं माने डॉक्टर

हालांकि स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने सोशल मीडिया के माध्यम से CMO से माफी मांगी थी, लेकिन डॉक्टरों ने इसे नाकाफी बताया। उनका कहना है कि जब सार्वजनिक रूप से निलंबन का आदेश दिया गया, तो माफी भी व्यक्तिगत रूप से सार्वजनिक रूप में ही होनी चाहिए।

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विपक्ष ने मांगा इस्तीफा

विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने इस घटना की निंदा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री राणे को पद से हटाने की मांग की है। पार्टी नेताओं ने इसे डॉक्टरों का अपमान बताया और कहा कि सरकार को चिकित्सा समुदाय के सम्मान की रक्षा करनी चाहिए।

यह घटना न केवल प्रशासनिक मर्यादाओं को लेकर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रहे पेशेवरों की गरिमा और आत्मसम्मान को कितना महत्व दिया जाना चाहिए। अगर राज्य सरकार समय रहते उचित कदम नहीं उठाती, तो यह संकट और गहराने की आशंका है।

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