हेल्थ मिनिस्टर ने डॉक्टर को इस मामले में किया बर्खास्त, तो सीएम ने कर दिया बहाल

स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. रुद्रेश कुर्तिकर को बर्खास्त कर दिया। यह निर्णय एक वरिष्ठ पत्रकार की शिकायत के बाद लिया गया। 

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Sandeep Kumar
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देश दुनिया न्यूज: गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (GMCH) के डॉक्टर डॉ. रुद्रेश कुर्तिकर की बर्खास्तगी से राजनीति में हलचल मच गई। यह निर्णय एक पत्रकार की शिकायत पर लिया गया, जिसमें आरोप था कि डॉक्टर ने उनकी सास के साथ दुर्व्यवहार किया। मंत्री विश्वजीत राणे के आदेश के कुछ घंटे बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हस्तक्षेप किया। 

मुख्यमंत्री ने बर्खास्तगी को रद्द कर दिया और डॉ. कुर्तिकर को निलंबित नहीं करने की घोषणा की। इस घटनाक्रम से चिकित्सा बिरादरी में चिंता बढ़ी है। मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच शक्ति संतुलन को लेकर चर्चा शुरू हो गई। सोशल मीडिया पर मंत्री का डॉक्टर को डांटते हुए वीडियो वायरल हुआ, जिससे विवाद और गहरा गया।

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विवाद की शुरुआत

गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (GMCH) में शनिवार को विवाद हुआ। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. रुद्रेश कुर्तिकर को बर्खास्त कर दिया। यह निर्णय एक वरिष्ठ पत्रकार की शिकायत के बाद लिया गया।  आरोप था कि डॉक्टर ने आपातकालीन वार्ड में उनकी सास के साथ दुर्व्यवहार किया और उचित इलाज नहीं दिया।

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स्वास्थ्य मंत्री की कार्रवाई

मंत्री राणे अस्पताल के निरीक्षण के लिए GMCH पहुंचे थे, तभी उन्होंने मौके पर ही डॉ. कुर्तिकर को फटकार लगाई और उन्हें पहले सस्पेंड और फिर बर्खास्त कर दिया। स्वास्थ्य सेवाओं में इस प्रकार की त्वरित और कठोर कार्रवाई से चिकित्सा समुदाय में बेचैनी फैल गई।

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डॉक्टर को डांटते दिखे मंत्री

इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें मंत्री राणे डॉक्टर को सार्वजनिक रूप से डांटते और निलंबन की चेतावनी देते नजर आए। यह वीडियो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया, जहां कुछ लोगों ने मंत्री के कदम को सही बताया तो कईयों ने इसे ‘अत्यधिक हस्तक्षेप’ और ‘लोकतांत्रिक मर्यादा के खिलाफ’ कहा।

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मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप

रविवार को मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने स्थिति का जायजा लेने के बाद मंत्री के फैसले को खारिज कर दिया। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर स्पष्ट किया कि डॉक्टर को निलंबित या बर्खास्त नहीं किया जाएगा। सीएम ने यह भी कहा कि सरकार डॉक्टरों की सेवा का सम्मान करती है और बिना जांच के ऐसी कार्रवाइयों को समर्थन नहीं दिया जा सकता।

सरकारी तंत्र में पर उठे सवाल

इस घटना ने सरकार के भीतर शक्ति संतुलन को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए। एक ओर मंत्री की त्वरित कार्रवाई, दूसरी ओर मुख्यमंत्री का तुरंत पलट देना, यह दिखाता है कि सरकार में नीतिगत तालमेल की कमी हो सकती है। प्रशासनिक फैसलों में पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया का पालन कितना हो रहा है, इस पर भी बहस तेज़ हो गई है।

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