अनोखी बकराशाला : राजा की तरह हो रही मौज, संगमरमर में बैठते हैं बकरे

उत्तर प्रदेश की बकराशाला पूरे दिन व्यस्त रहती है। अधिकांश बकरियां अपने दिन की शुरुआत जुगाली से करती हैं, लेकिन बागपत के अमीनगर सराय में बकराशाला में सुबह की दिनचर्या कहीं अधिक औपचारिक होती है।

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Ravi Singh
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goat shed Jain
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उत्तर प्रदेश की बकराशाला पूरे दिन व्यस्त रहती है। अधिकांश बकरियां अपने दिन की शुरुआत जुगाली से करती हैं, लेकिन बागपत के अमीनगर सराय में बकराशाला में सुबह की दिनचर्या कहीं अधिक औपचारिक होती है। सुबह होते ही कर्मचारी बाल्टी लेकर आते हैं। सबसे पहले वे बकरियों के चेहरे धोते हैं और फिर उन्हें फिटकरी से बकरी को कुल्ला करवाते हैं। उसके बाद संगमरमर के हौद में ताजा पानी डालते हैं, चारा परोसते हैं और ठीक 9 बजे बकरियों को मॉर्निंग वॉक पर से जाते हैं।

मुसलमान बनकर खरीदी बकरी

उत्तर प्रदेश की बकराशाला पूरे दिन व्यस्त रहती है। पिछले महीने बकरीद से पहले बचाई गई बकरियों के आने के बाद से काम का बोझ बढ़ गया है। जिसमें चांदनी चौक के जैनों द्वारा मुसलमानों का भेष बदलकर गुप्त रूप से प्राप्त की गई 124 बकरियां भी शामिल  हो गई हैं। बकरियां को जीवन का सबसे अच्छा समय मिल गया है। सुबह नहाना, सैर, शाम के नाश्ते और नियमित स्वास्थ्य जाँच का आनंद बकरियों को मिल रहा है।

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65 साल के केयरटेकर मोहम्मद इकबाल सुबह की सैर से लौट रही सैकड़ों बकरियों को अंदर कर पतले पेड़ की शाखाओं को पकड़े हुए आधा दर्जन आदमी धीरे-धीरे उनके शेड तक ले जा रहे थे। उनके लिए तसले में कुछ आदमी चारा भर रहे हैं, इसी समय इकबाल ने कहा किउनके दोपहर के भोजन का समय हो गया है।

6 साल पहले बनी बकरा शाला

जैन समुदाय द्वारा संचालित गैर सरकारी संगठन जीव दया संस्थान ने करीब 6 साल पहले बकराशाला को  बनाया गया। इसका उद्देश्य हर साल बकरीद के दौरान मीट मंडियों से खरीदे गए बकरियों को घर देना है।

कई राज्यों से आती हैं बकरी

2018 में 50 बकरियों के साथ शुरुआत हुई थी आज इसमें 700 बकरियां हैं, जिनमें से 500 इस साल पश्चिमी यूपी और दिल्ली से लाई गई हैं। बकरियों को पहले 15 दिनों के लिए एक छोटी बकराशाला में अलग रखा गया। फिर 2017 में जैन संगठन द्वारा अपने बकरी बचाव अभियान का विस्तार करने का फैसला करने के बाद उन्हें उनके वर्तमान निवास स्थान में स्थानांतरित कर दिया गया।

5 हजार से भी ज्यादा बकरी रख सकते हैं

बकरी आश्रम में 5 हजार से अधिक से अधिक बकरियों को रख सकते हैं। जीव दया संस्थान के ट्रस्टी सचिन जैन का कहना है कि 2018 से बकरीद के दौरान इन सभी बकरियों को बचाया है। जिसमें चांदनी चौक की बकरियाँ भी शामिल हैं, साथ ही हमारा मकसद बकरियों को बचाना है, ताकि इन मासूम जानवरों की जान न जाए। यहाँ से एक भी बकरी नहीं काटी जाती। ये बकरियाँ अपनी ज़िंदगी जीती हैं और अपनी मौत मरती हैं।

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