गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में शामिल होगा गरुड़ कमांडो का जत्था, बेहद खतरनाक ट्रेनिंग से तपकर बनते हैं जांबाज रणबांकुरे

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Rajeev Upadhyay
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गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में शामिल होगा गरुड़ कमांडो का जत्था, बेहद खतरनाक ट्रेनिंग से तपकर बनते हैं जांबाज रणबांकुरे

New Delhi. आप सबके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ पर क्या नया होगा? आपकी जिज्ञासा एकदम वाजिब है। इसलिए हम आपको बताते हैं कि इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में आकर्षण का केंद्र रहेंगे भारतीय सेना के जांबाज योद्धाओं का एक दस्ता, जिनका नाम है गरुड़ कमांडो। जी हां, गणतंत्र दिवस पर पहली बार गरुड़ कमाडोस का दस्ता शामिल होने जा रहा है। 



72 हफ्तों की कड़ी ट्रेनिंग कर बनते हैं गरुड़ कमांडो



बता दें कि गरुड़ कमांडो की ट्रेनिंग सबसे लंबी होती है। इन्हें 72 हफ्तों तक विषम परिस्थितियों में हाड़तोड़ ट्रेनिंग दी जाती है। जिसके बाद ट्रेनिंग की तपिश से ये घातक कमांडो कुंदन बनकर निकलते हैं। वायुसेना ने इनकी जरूरत तब महसूस की जब 2001 में जम्मू और कश्मीर के 2 एयरबेस पर आतंकी हमले हुए। जिसके बाद स्पेशल फोर्स का गठन किया गया। जिसके बाद गरुड़ कमांडो के दस्ते का गठन किया गया। शांति काल में इनका सिर्फ एक ही काम होता है एयरफील्ड की सुरक्षा करना। 




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  • ये है इनका शौर्य



    गरुड़ कमांडो इंडियन एयरफोर्स की स्पेशल घातक फोर्स है। इस दस्ते को फरवरी 2004 में गठित किया गया था। इनका मुख्य काम एयर असॉल्ट, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, क्लोज प्रोटेक्शन, सर्च एंड रेस्क्यू के साथ-साथ आतंकरोधी अभियान, डायरेक्ट एक्शन और एयरफील्ड्स की सुरक्षा है। इसके अलावा आतंकी हमलों से निपटने के लिए इन्हें विशेष तौर पर ट्रेंड किया जाता है। 



    सबसे खूंखार कमांडो में शुमार



    भारत के सबसे खूंखार कमांडो में शुमार गरुड़ कमांडोस खतरनाक हथियारों से लैस यह दस्ता दुश्मन को नेस्तोनाबूद करने के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले इनकी पैराशूट ट्रेनिंग होती है, इसके बाद मिजोरम में जंगल वॉरफेयर में भी इनका प्रशिक्षण होता है। अपनी ट्रेनिंग के बलबूते यह विषम से विषम परिस्थिति में भी डटकर लोहा लेते हैं और दुश्मन को मौत के आगोश में पहुंचाकर ही दम लेते हैं। इसलिए इन्हें दुश्मन का काल भी कहा जाता है। 


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