NEW DELHI. कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम केस में राहत मिलेगी या फिर निचली अदालत का दिया फैसला बरकरार रहेगा। इसका फैसला आज गुजरात हाईकोर्ट सुनाने जा रहा है। मानहानि के इस केस में सुबह 11 बजे आदेश देने के साथ ही गुजरात हाईकोर्ट का कामकाज शुरू होगा।
हाईकोर्ट में दायर की थी रिव्यू पिटीशन
सूरत की अदालत ने मानहानि केस में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। सूरत कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए राहुल गांधी की तरफ से हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और हाईकोर्ट के वेकेशन के बाद फैसला सुनाने को कहा था।
BJP विधायक ने किया था केस
साल 2019 के चुनाव में जनसभा के दौरान दिए गए राहुल गांधी के बयान पर गुजरात के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ केस किया था. 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था कि 'कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है ?' राहुल के बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था. अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?
आगे क्या संभावना ?
यदि हाईकोर्ट राहुल के खिलाफ सुनाए गए सूरत कोर्ट के सजा के फैसले पर रोक लगा देता है तो राहुल गांधी की संसद से सदस्यता बहाल हो सकती है। सूरत कोर्ट के से सजा का फैसला सुनाने के बाद राहुल गांधी संसद सदस्य के रूप में आठ साल के लिए निलंबित है। अगर निलंबन पर रोक नहीं लगती है तो राहुल गांधी के पास गुजरात हाईकोर्ट की ही उच्च पीठ के सामने अपील करने का विकल्प रहेगा।
लिली थॉमस केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट लिली थॉमस और लोक प्रहरी के केस में कह चुका है कि यदि सजा निलंबित हो जाती है और अपील करने वाली अदालत दोषी मानने पर रोक लगा देती है तो जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत किसी विधायक या सांसद की अयोग्यता को पलटा जा सकता है। मगर अकेले सजा के निलंबन से विधायक के रूप में अयोग्यता को पलटा नहीं किया जा सकता इसके लिए जरूरी है कि जिस अदालत में अपील की गई है वो उसे दोषी न माने।