AHMEDABAD. गुजरात के नरोदा गाम में हुए दंगों के मामले में स्पेशल कोर्ट आज यानी 20 अप्रैल को फैसला सुना सकता है। 2002 में हुए इन दंगों में 11 लोगों की मौत हुई थी। बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 आरोपियों पर यह केस चल रहा है। 2002 में हुए इन दंगों में 11 लोगों की मौत हुई थी। गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंग दल नेता बाबू बजरंगी समेत 86 आरोपियों पर यह केस चल रहा है। हालांकि, 86 में से 18 की मौत हो चुकी है।
2002 में गोधरा में चलती ट्रेन में आग लगा दी गई थी। इस हादसे में 58 लोगों की मौत हो गई थी। गोधरा कांड के विरोध में अगले दिन बंद बुलाया गया था। इस दौरान अहमदाबाद के नरोदा गाम में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हो।
क्या है गोधरा कांड, कैसे भड़का नरोदा गाम?
- 27 फरवरी 2002। उत्तर प्रदेश के अयोध्या से साबरमती एक्सप्रेस गुजरात पहुंची थी कि यहां गोधरा में ट्रेन को घेरकर आग लगा दी गई। कारसेवकों से भरी इस ट्रेन में हुई आगजनी से 58 लोगों की मौत हो गई थी। गोधरा कांड के अगले दिन यानी 28 फरवरी 2002 को गुजरात में दंगों की शुरुआत हुई।
27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के बाद गुजरात बंद का ऐलान हुआ था। 28 फरवरी को नरोदा इलाके में कुछ लोगों की भीड़ दुकानें बंद कराने लगीं। सुबह 9 बजे से ऊपर का वक्त हुआ होगा, भीड़ काफी बढ़ चुकी थी, घरों के दरवाजे बंद थे। इसी बीच भीड़ में से ही हिंसा होने लगी, पत्थर फेंके जाने लगे, कुछ ही मिनट में नरोदा गाम इलाके का पूरा हुलिया बदल गया। वहां चारों तरफ आगजनी, तोड़फोड़ जैसे मंजर नजर आने लगे और 11 लोगों की मौत हो गई। नरोदा गाम और नरोदा पाटिया इलाके दोनों ही हिंसा के निशाने पर रहे और नरोदा पाटिया में 97 लोगों की मौत सामने आई थी।
नरोदा गाम और नरोदा पाटिया में जो नरसंहार हुए थे, इसके बाद ही पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे। मामले में विशेष जांच टीम (SIT) की जांच बैठी। एसआईटी ने माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया। माया कोडनानी राज्य सरकार में पूर्व मंत्री रही हैं। करीब दस घंटे तक चले इन नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए। राज्य के 27 शहरों और कस्बों में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। इस दौरान नरोदा में तमाम मुस्लिम घरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था।
मामले में कोडनानी पर हत्या, हत्या की कोशिश, दंगों के अलावा साजिश रचने जैसे आरोप हैं।
इससे पहले कोडनानी को विशेष अदालत ने नरोदा पाटिया दंगों के मामले में 28 साल की सजा सुनाई थी। इन दंगों में 97 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने कोडनानी को बरी कर दिया था।