BHOPAL. बुधवार को संसद पर हमले की 22वीं बरसी थी। संसद हमले के बरसी पर संसद की सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया है। संसद की कार्यवाही के दौरान दो व्यक्ति दर्शक दीर्घा से अचानक लोकसभा सांसदों की सीट पर कूद गए। बता दें कि इस घटना के समय संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित 6 मंत्री मौजूद थे। युवकों ने जब भीतर धुआं छोड़ा तो अंदर बैठे करीब 150 सांसद घबरा गए थे। इस दौरान एक युवक को नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने दबोच लिया, और उस युवक को जमकर पीटा। जानकारी के मुताबिक बेनीवाल का कहना है कि इन युवकों के इरादे कुछ और थे, ये बेंच के माध्यम से अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचना चाह रहे थे।
हनुमान बेनीवाल ने की पिटाई
हनुमान बेनीवाल के मुताबिक सदन में 'शून्यकाल' चल रहा था। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष अपने चैंबर में थे। पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल शून्य काल की कार्यवाही को संचालित कर रहे थे। उस समय लोकसभा में बीजेपी सांसद खगेन मुर्मू अपनी बात रख रहे थे। उनके बाद मेरे बोलने का नंबर आने वाला था। अचानक से हंगामा हो गया। पूरे सदन में इसके बाद अफरातफरी मच गई। तभी दूसरा युवक भी नीचे कूद गया। बता दें कि दर्शक दीर्घा की ऊंचाई 6 से साढ़े 6 फीट के करीब होगी। बताया जा रहा है कि ये सब इतना जल्दी हुआ कि पहले तो एक पल के लिए किसी को समझ ही नहीं आया।
सभी सांसद घबरा गए
बेनीवाल ने बताया कि जब कुछ समझ नहीं आया तो मैं अपनी जगह से उठकर उन लड़कों की ओर लपका। मैंने एक युवक को दबोचा, कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने गैलरी में कूदे दूसरे शख्स को पकड़ा। बेनीवाल के अनुसार, जब दोनों लड़कों को दबोच लिया, तो उन्होंने बताया कि हम प्रोटेस्ट कर रहे हैं। उन्होंने अचानक अपने जूते से पीले रंग का स्मोक कलर निकाला। पूरे संसद में धुआं छोड़ दिया। इससे सदन के भीतर धुआं-धुआं हो गया। सभी सांसद घबरा गए। कुछ का दम भी घुटने लगा था। सांसदों में इस बात का भय था कि कहीं ये गैस जहरीली तो नहीं या फिर इनके पास कोई गन तो नहीं।
युवकों ने कहा हम प्रोटेस्ट कर रहे हैं
संसद भवन के मार्शल आने से पहले ही हम सांसदों ने दोनों युवकों को दबोच लिया था। हमने यह बताने का प्रयास किया कि सांसद भी कमजोर नहीं हैं। सांसदों ने जब लड़कों को पीटा, तो कहने लगे कि साब हम प्रोटेस्ट कर रहे हैं। हमें मत मारो। हम तो प्रोटेस्ट कर रहे हैं। ये कुल मिलाकर चार लोग थे। दो विजिटर गैलरी में बैठे थे। इनमें से एक युवती भी थी। विजिटर गैलरी में बैठकर कूदे हुए दोनों लड़कों को मोटिवेट कर रहे थे। युवती को पकड़ लिया गया है। दूसरे ने बाहर भागने का प्रयास किया, जिसे गार्डों ने पकड़ लिया था। इस दौरान सुरक्षा कर्मी समय पर सदन नहीं पहुंच पाए थे। मार्शल सिक्योरिटी के लोगों को 2-3 मिनट से ज्यादा का समय लग गया। इस मामले की जांच होनी चाहिए कि प्रोटेस्ट किस चीज का था। ये पता लगाने की जरूरत है कि इन युवकों ने इसी दिन को क्यों चुना? उनका मकसद कुछ और था। बता दें कि लोकसभा की हाई क्लास सिक्योरिटी में करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। ऐसे में तो कोई भी भीतर आकर हमला कर सकता है या फिर किसी सांसद को चोट पहुंचा सकता है।
2001 में इसी दिन संसद पर हमला
13 दिसंबर 2001 को संसद में शीत सत्र चल रहा था। महिला आरक्षण बिल पर हंगामे के बाद सुबह 11:02 बजे सदन को स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी संसद से जा चुके थे। सुबह करीब साढ़े 11 बजे उपराष्ट्रपति के सिक्योरिटी गार्ड उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। तभी सफेद एंबेसडर में सवार 5 आतंकी गेट नंबर-12 से संसद के अंदर घुस गए। ये सब देखकर सिक्योरिटी गार्ड ने उस एंबेसडर कार के पीछे दौड़ लगा दी थी। तभी आतंकियों की कार उपराष्ट्रपति की कार से टकरा गई। घबराकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों के पास एके-47 और हैंड ग्रेनेड थे, जबकि सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे थे।