उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में तीन साल की बच्ची से उसके ताऊ ने दुष्कर्म किया। मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई। सजा सुनाने के दौरान जज ने न सिर्फ लिखित फैसला दिया बल्कि मौखिक भी आरोपी पर रामायण की चौपाई से टिप्पणी की। अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सगी भतीजी के साथ ऐसा कृत्य इंसान के रूप में वहशी जानवर ही कर सकता है।
क्या कहा अपर जज ने
अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय सांस्कृति के समाज को ऐसे पैशाचिक व्यक्ति की जरूरत नहीं है। ऐसी प्रवृत्ति के व्यक्ति को समाज में रहने का अधिकारी नहीं, साथ ही जज नसीम ने कहा अगर अभियुक्त ने हत्या की होती तो शायद सजा कुछ और मिलती, लेकिन जो अपराध उसने किया है उसमें बच्ची की हत्या हर पल और हर दिन होती है। उन्होंने अपने फैसले में दोषी जैसे लोगों को समाज में रहने के लायक न होने की टिप्पणी करते हुए फांसी की सजा सुनाने के बाद कलम तोड़ दी।
फैसले में लिखा...ताहि बधे कुछ पाप न होई
अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने रामचरितमानस के किष्किंधाकांड की पंक्तियों का उल्लेख भी फैसले में करते हुए लिखा कि अनुज वधू भगिनी सुत नारी, सुन सठ कन्या सम ए चारी, इनहहि कुदृष्टि बिलोकई जोई, ताहि बधे कुछ पाप न होई। इसका मतलब यह हुआ कि छोटे भाई की स्त्री, बहिन, पुत्र की स्त्री और कन्या यह चारों समान हैं। इन्हें जो भी बुरी नजर से देखेगा, उसको मारना कोई पाप नहीं।
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समाज को कठोर रूख अपनाना पड़ेगा
साथ ही उनका कहना है कि आधुनिक सभ्यता में हम में हम बेटियों के लिए बहुत से अभियान चला रहे हैं, जिससे उन्हें समाज में सुरक्षित और सम्मानित जीवन जीने का अधिकार मिल सके। ऐसी घटनाओं के लिए समाज में कोई कठोर रूख नहीं अपनाया गया, तो न बेटियों की सुरक्षा हो पाएगी, ना ही बेटियां सुरक्षित जीवन जी पाएंगी। साथ ही अपन जज का कहना है कि जब पूरे केस को पढ़ा को सो भी नहीं सका।
बच्ची की मां के साथ भी करता था छेड़खानी
सुनवाई के दौरान पीड़िता की मां का बयान भी दर्ज किया गया, जिसमें उन्होंने बताया कि आरोपी की शादी नहीं हुई है और कई बार उसके साथ भी छेड़खानी कर चुका है। जिस कारण बच्ची के पिता ने कई बार अपने भाई को पीट भी दिया है।
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