तस्लीमा नसरीन बोलीं- मुझे बांग्लादेश में नहीं घुसने दिया, आज हसीना देश छोड़ने को मजबूर

बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा हसीना ने मुझे देश में दोबारा घुसने नहीं दिया।

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Ravi Singh
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बांग्लादेश में चल रहे प्रदर्शन के बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया और देश से निकलने के बाद राजनीति गर्म हो गई है। बांग्लादेश तहस- नहस नजर आ रहा है। इस बीच बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर निशाना साधा है। 

तसलीमा नसरीन ने क्या कहा

लेखिका तसलीमा नसरीन का कहना है कि जिन इस्लामी ताकतों ने उन्हें बांग्लादेश से बाहर निकाला था, उन्होंने ही शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर किया है। तसलीमा को उनकी पुस्तक लज्जा को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद 1990 के दशक में बांग्लादेश से निकाल दिया था। साथ ही उनका कहना है कि हसीना ने अपनी सरकार की विवादास्पद आरक्षण प्रणाली के विरुद्ध जनता में भारी आक्रोश के बीच बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भारत चली गईं। इस प्रणाली के तहत 1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित की गई थीं। इस आरक्षण प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शनों में 400 से अधिक लोगों की मौत हुई है।

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तसलीमा ने पोस्ट किया

तसलीमा ने हसीना की स्थिति को दुरभाग्यपूर्ण बताकर एक्स पर लिखा है हसीना ने इस्लामी ताकतों को खुश करने के लिए मुझे 1999 में उस समय मेरे देश से बाहर निकाल दिया था, जब मेरी मां मृत्युशय्या पर थीं और मैं उनसे मिलने के लिए बांग्लादेश आई थी। हसीना ने मुझे देश में दोबारा घुसने नहीं दिया। छात्र आंदोलन में शामिल उन्हीं इस्लामी ताकतों ने आज हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर किया है।

तसलीमा की पुस्तक की कड़ी निंदा

तसलीमा को बांग्लादेश में सांप्रदायिकता और महिला समानता पर अपने लेखन के कारण इस्लामी कट्टरपंथियों की आलोचना का शिकार होने के बाद 1994 से बांग्लादेश से निकाल दिया था। तसलीमा के  उपन्यास लज्जा 1999 और आत्मकथा अमर मेयेबेला 1998 समेत उनकी कुछ पुस्तकों को बांग्लादेश सरकार ने बैन कर दिया था।

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लज्जा की भी निंदा

तसलीमा ने भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद बंगाली हिंदुओं के साथ हुई हिंसा, बलात्कार, लूटपाट और हत्या की घटनाओं विवरण लज्जा में किया था, जिसके कारण इस पुस्तक की कड़ी निंदा हुई थी।

कौन है तसलीमा

बांग्लादेश की जानी-मानी लेखिका हैं। तसलीमा ने अब तक कई किताबें लिख चुकी हैं। वे कविताएं लिखती हैं और उनकी एक नॉवेल लज्‍जा पर भारत में फिल्म भी बन चुकी है। फि‍ल्‍म के बाद उनके खि‍लाफ फतवा जारी किया गया था।

मुस्‍लिम कट्टरपंथि‍यों के निशाने पर

तसलीमा इस्‍लामिक कट्टरता के खि‍लाफ लिखने और बयानबाजी के कारण मुस्‍लिम कट्टरपंथि‍यों के निशाने पर रहती हैं। यही कारण है कि बांग्‍लादेश मुस्‍लिम देश है, वहां से निर्वासित होकर भारत में शरण लेना पड़ी। वे स्‍वीडन की नागरिक हैं। लेकिन वे बार-बार अपना वीजा बढवाकर भारत में ही रहती हैं। वे साल 2004 से भारत में रह रही हैं। तसलीमा पेशे से एक डॉक्‍टर रही हैं, लेकिन बाद में वे लेखि‍का बन गई।

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कई बार हमले हो चुके

तसलीमा का जन्म 25 अगस्‍त 1962 को बांग्‍लादेश के मयमनसिंह में हुआ था। बांग्‍लादेश से ही चिकित्‍सा में डि‍ग्री ली है। पहले वे यूरोप और अमेरिका में रहती थी, बाद में वे भारत में रहने लगी। इस्‍लाम पर टि‍प्‍पणी के कारण कई बार उन हमले हो चुके हैं। वे नारीवादी आंदोलन से भी जुड़ी हैं, और चाहती हैं कि भारत में हर क्षेत्र में महिलाओं की मजबूत भागीदारी हो। अपने इंटरव्‍यू में वे कई बार अपने देश बांग्‍लादेश लौटने की बात करती हैं, लेकिन उन्‍हें वहां जान से मारने का खतरा होने की वजह से तसलीमा बांगलादेश नहीं जाती हैं।

ravi kushwah

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