जातिगत जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल, याचिका में बताए महत्वपूर्ण फायदे

जातिगत जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 2 सितंबर को सुनवाई होने वाली है, जिसमें जनहित याचिका के माध्यम से इसके 5 प्रमुख फायदों पर जोर दिया गया है।

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Dolly patil
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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जातिगत जनगणना ( Caste Census ) का मुद्दा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) पहुंच गया है। 2 सितंबर को इस पर सुनवाई होने वाली है। इस याचिका में केंद्र सरकार ( Central Government ) से आग्रह किया गया है कि वह पिछड़े और अन्य हाशिए पर पड़े वर्गों  के कल्याण हेतु जातिवार जनगणना ( Caste-wise Census ) का आयोजन करे।

जातिगत जनगणना की मांग और राजनीतिक दबाव

कांग्रेस (Congress) समेत कई विपक्षी दलों ( Opposition Parties ) द्वारा केंद्र सरकार से लगातार जातिगत जनगणना कराने की मांग की जा रही है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, यह मांग और जोर पकड़ रही है। इस बीच, खुद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले एनडीए ( NDA ) के सहयोगी दल भी इस मांग का समर्थन कर रहे हैं। विशेष रूप से, लोक जनशक्ति पार्टी ( एलजेपी-आर ) जैसे सहयोगी दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद की है।

याचिका में जातिगत जनगणना के 5 फायदे

सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका ( Public Interest Litigation - PIL ) में जातिगत जनगणना के पांच प्रमुख फायदे बताए गए हैं।

  1. वंचित समूहों की पहचान ( Identification of Deprived Groups ) सामाजिक-आर्थिक जातिवार जनगणना से वंचित समूहों की सटीक पहचान करने में सहायता मिलेगी, जिससे इन समूहों के कल्याण के लिए बेहतर योजनाएं बनाई जा सकेंगी।
  2. संसाधनों का समान वितरण ( Equitable Distribution of Resources ) जातिगत जनगणना के माध्यम से संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित किया जा सकेगा, जिससे समाज के सभी वर्गों को समान अवसर मिल सकेंगे।
  3. नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन ( Effective Policy Implementation ) जातिगत जनगणना के आधार पर नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी करना आसान होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचे।
  4. सटीक आंकड़े ( Accurate Data ) पिछड़े और हाशिए पर पड़े वर्गों का सटीक आंकड़ा सामाजिक न्याय ( Social Justice ) और संवैधानिक उद्देश्यों ( Constitutional Objectives ) को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
  5. नीति-निर्माण में सहायक ( Aiding in Policy-Making ) डेटा आधारित दृष्टिकोण नीति-निर्माण के लिए जरूरी है, जिससे वंचित समुदायों की भलाई के लिए योजनाएं बनाना और उन्हें लागू करना आसान हो जाएगा।

संविधान के अनुच्छेद 340 का संदर्भ

याचिका में संविधान के अनुच्छेद 340 ( Article 340 ) का उल्लेख किया गया है, जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की जांच के लिए आयोग की नियुक्ति का आदेश देता है। जनगणना न केवल जनसंख्या में हुए बदलावों का ट्रैकर होती है, बल्कि यह देश के लोगों का व्यापक सामाजिक-आर्थिक आंकड़ा ( Socio-Economic Data ) भी उपलब्ध कराती है। इसका इस्तेमाल नीति-निर्माण (Policy-Making), आर्थिक योजना (Economic Planning), और विभिन्न प्रशासनिक उद्देश्यों (Administrative Purposes) के लिए किया जा सकता है।

dolly patil

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