हिमाचल में 68 विधानसभा सीटों पर मतदान खत्म, राज्य में 5 साल में सत्ता बदलने का ट्रेंड, बीजेपी का नारा- राज नहीं, रिवाज बदलेंगे

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Atul Tiwari
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हिमाचल में 68 विधानसभा सीटों पर मतदान खत्म, राज्य में 5 साल में सत्ता बदलने का ट्रेंड, बीजेपी का नारा- राज नहीं, रिवाज बदलेंगे

SHIMLA. हिमाचल प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों पर मतदान खत्म हो चुका है। एक चरण में मतदान हुआ। प्रदेशभर में 7 हजार 884 वोटिंग सेंटर बनाए गए हैं। सुबह 8 से शाम 5 बजे तक वोटिंग हुई। राज्य में कुल 412 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे। प्रदेश में कुल 55 लाख 92 हजार 828 वोटर हैं, जिनमें से 28 लाख 54 हजार 945 पुरुष और 27 लाख 37 हजार 845 महिलाएं हैं। इसके अलावा 38 थर्ड जेंडरों ने भी वोट डाला। हिमाचल में 2017 के विधानसभा चुनावों में 75.57% तो 2012 के विधानसभा चुनावों में 73.5% वोटिंग हुई थी। चुनाव आयोग ने 15,256 फीट की ऊंचाई पर लाहौल स्पीति जिले के स्पीति क्षेत्र में ताशीगंग, काजा में सबसे ऊंचा बूथ बनाया। यहां 52 लोगों ने वोट डाला।



हिमाचल प्रदेश का अब तक का ट्रेंड रहा है कि हर चुनाव में सरकार बदलती है। यानी सत्ताधारी पार्टी को हार का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस बार चुनाव प्रचार में बीजेपी ने नया नारा दिया है- राज नहीं, रिवाज बदलेंगे (सरकार नहीं, बल्कि पुरानी परंपरा को बदलेंगे)। फिलहाल हिमाचल में बीजेपी की सरकार है और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले 2012 में कांग्रेस की सरकार बनी थी।




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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनकी पत्नी साधना ने विक्ट्री साइन बनाकर बीजेपी की जीत को तय बताया।




बीजेपी और कांग्रेस ने किए बड़े-बड़े वादे



इस बार सिर्फ 24 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में 19 महिला प्रत्याशी थीं। बीजेपी ने महिलाओं को लुभाने के लिए एक घोषणापत्र भी जारी किया है। बीजेपी ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने और 8 लाख नौकरियों का वादा किया है, जबकि कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली, 300 यूनिट मुफ्त बिजली और एक लाख रोजगार और 680 करोड़ रुपये का स्टार्टअप फंड दिए जाने का वादा किया है। एक लाख रोजगार देने का वादा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से किया गया है।



दांव पर दिग्गजों की सांख 



इस चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी की साख दांव पर है। पार्टी विकास के एजेंडे की दम पर दोबारा जीत की उम्मीद कर रही है, जबकि विपक्षी कांग्रेस ने भी मतदाताओं से खुद को वापस लाने की अपील की है। चुनाव में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह और पूर्व प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती समेत 412 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा। 



मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी जिले के सिराज से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि सतपाल ऊना से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज कसुम्पटी से, कांग्रेस के सीएलपी नेता मुकेश अग्निहोत्री हरोली से, विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से, कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन से और कांग्रेस घोषणापत्र समिति के प्रमुख धनी राम शांडिल सोलन से चुनाव लड़ रहे हैं।




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लाहौल और स्पीति जिले में 12 नवंबर को ही पोलिंग टीम को एयरफोर्स के एक विमान से भेजा गया।




कांग्रेस के 90% तो बीजेपी के 82% कैंडिडेट्स करोड़पति



विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के करीब 90% तो सत्तारूढ़ बीजेपी के 82 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक, AAP ने कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में से 67 पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, जिसमें 35 या 52 फीसदी करोड़पति उम्मीदवार हैं। बसपा 53 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसके 25 प्रतिशत (यानी 13) उम्मीदवार करोड़पति हैं जबकि सीपीएम के 36 प्रतिशत (4) उम्मीदवार अमीरों की सूची में हैं। 45 निर्दलीय उम्मीदवार भी करोड़पति हैं। कांग्रेस के 61 उम्मीदवार और बीजेपी के 56 उम्मीदवार करोड़पति हैं।



हिमाचल प्रदेश में 2022 का चुनाव लड़ने वाले 412 उम्मीदवारों में से 55 प्रतिशत (226) करोड़पति हैं। इस सूची में शिमला के चौपाल सीट से बीजेपी उम्मीदवार बलवीर सिंह वर्मा 128 करोड़ रुपए की कुल संपत्ति के साथ टॉप पर हैं। शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ रहे विक्रमादित्य सिंह कुल 101 करोड़ की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। विक्रमादित्य पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं।



मोदी, शाह, योगी और प्रियंका ने की जनसभाएं



सत्ताधारी बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दमदार प्रचार अभियान संभाला। पीएम ने कहा कि भाजपा के लिए दिया गया प्रत्येक वोट उनकी ताकत को बढ़ाएगा। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी और अनुराग ठाकुर ने जनसंपर्क के अलावा कई चुनावी सभाएं कीं, जबकि विपक्षी कांग्रेस मुख्य रूप से पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर निर्भर रही। 


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