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New Delhi. बड़ी जांच और इलाज के लिए के ग्रामीण मरीजों को बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। ऐसे में उनका खर्च और परेशानी बढ़ जाती है। ऐसे में अब केंद्र ने आम लोगों की सुविधा को देखते हुए छोटे शहरों व कस्बों में मौजूद अस्पतालों के लिए विदेश से पुरानी महंगी चिकित्सीय जांच मशीनों को लाने का रास्ता और आसान बना दिया है। जिन्हें अब वे थर्ड पार्टी के जरिए आसानी से मंगवा सकेंगे। इनमें एमआरआई, ईसीजी, सीटी स्कैन जैसी 50 चिकित्सीय जांच मशीनें शामिल हैं। शर्तों के अनुसार, सिर्फ उन्हीं मशीनों को लाने की अनुमति होगी, जो चालू हालत और गारंटी पीरियड में होंगी। इन मशीनों को लाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति जरूरी होगी।
सिर्फ गारंटी वाली मशीनें ही खरीदी जा सकेंगी
वन और पर्यावरण मंत्रालय ने यह कदम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल के बाद उठाया है। इसमें विदेशों से पुरानी महंगी चिकित्सीय जांच मशीनों को लाने की अनुमति के बाद इनकी पहुंच छोटे शहरों और कस्बों के अस्पतालों तक नहीं है। वजह, दुनिया के ऐसे विकसित देशों तक इनकी पहुंच का न होना है, जो अपने यहां एक तय समय-सीमा के बाद यानी गारंटी पीरियड के पूरा होने से पहले ही ऐसी महंगी मशीनों को हटा देते हैं। इन्हें वह मूल कीमत से काफी कम कीमत पर जरूरतमंदों को दे देते हैं। ऐसे में अब वे मशीनें भारत के छोटे शहरों या कस्बों के लिए लाई जा सकेंगी।
थर्ड पार्टी को भी दी एंट्री
वन और पर्यावरण मंत्रालय ने छोटे-छोटे शहरों में मौजूद अस्पतालों तक इस सुविधा को आसानी से पहुंचाने के लिए इनमें अब थर्ड पार्टी को भी एंट्री दे दी है, जो विदेशों से इन महंगी मशीनों को मुहैया करा सकेंगे। बता दें कि इन मशीनों की कीमत करोड़ों की होती है। ऐसे में बड़े अस्पताल तो इन्हें आसानी से खरीद लेते हैं, लेकिन छोटे शहरों व कस्बों में मौजूद अस्पताल के लिए यह दूर की कौड़ी जैसी होती है। इसके चलते सबसे ज्यादा परेशानी आम लोगों को उठानी होती है, जिन्हें ऐसी जांचों के लिए बड़े शहरों और बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते है।
फायदा : ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सीय सुविधाओं को मिलेगी मजबूती
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, सरकार की इस सुविधा के कारण छोटे शहरों और कस्बों के अस्पताल भी अब थर्ड पार्टी की मदद से विदेशों से जरूरत के मुताबिक महंगी मशीनों को कम कीमत में ही मंगवा सकेंगे। इन मशीनों की सीधे अस्पताल के नाम पर ही मंत्रालय की अनुमति के साथ ला सकेंगे। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सीय सुविधाओं को और मजबूती मिलेगी।