क्रिकेट की सट्टेबाजी में कैसे तय होते हैं रेट, कैसे होती है स्पॉट फिक्सिंग, जानें एमपी-सीजी का कनेक्शन

क्रिकेट से हर कोई परिचित है। इसमें सट्टेबाजी भी होती है। हर मैच में सट्टे का भाव टीमों के रिकॉर्ड, विकेट, मौसम कई पहलुओं को ध्यान में रखकर तय होते हैं। आइए आपको बताते हैं कि क्रिकेट की ये सट्टेबाजी कैसे होती है, कैसे चलता है ये धंधा...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. IPL का 17वां सीजन जारी है। भारत में आईपीएल के 16 सीजन हो चुके हैं। क्रिकेट की भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में दीवानगी है। क्रिकेट में आईपीएल हो या किसी भी फॉर्मेट में खेला जाने वाला मैच इसकी दीवानगी अब मैच देखने तक ही सीमित नहीं रही बल्कि, लोगों ने इस खेल में कमाई का जरिया भी ढूंढ निकाला है। इसको लेकर ऑनलाइन सट्टा भी पूरी दुनिया में फैल चुका है। लोग कई एप्स के माध्यम से मैच के दौरान दांव लगाते हैं। इसमें सोशल मीडिया पर चलने वाले एप्स हैं तो कुछ अपने कॉन्टेक्ट से सभी जगह बैठे बुकी के माध्यम से इसमें सट्टा लगा रहे हैं। पहले तो मैच की हार-जीत पर ही सट्टेबाजी चलती थी, लेकिन आजकल हर गेंद जिसे सेशन बोला जाता है पर दांव लगाया जाता है। साथ ही मैच की हर छोटी से छोटी गतिविधि पर भी सट्टा खेला जा रहा है। आइए आपको बताते हैं कि क्रिकेट की ये सट्टेबाजी कैसे होती है, कैसे चलता है ये धंधा...   

स्पॉट फिक्सिंग क्या है ?

पहले पूरे मैच यानी नतीजे फिक्स किए जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब स्पॉट और फैंसी फिक्सिंग से ही काम चल जाता है। पूर्वी दिल्ली के एक बुकी के अनुसार अब मैच फिक्स करने की जरूरत नहीं, स्पॉट फिक्सिंग से ही भरपूर कमाई हो जाती है। स्पॉट फिक्सिंग का अर्थ है मैच के किसी खास हिस्से को फिक्स कर देना। वहीं पंजाब में फैंसी फिक्सिंग काफी लोकप्रिय है। इसमें मैच की एक-एक गेंद पर कितने रन बनेंगे, कौन सा बैट्समैन कितने रन बनाएगा, पूरी पारी में कितने रन बनेंगे, इन सब पर सट्टा लगता है।

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कैसे चलता है सट्टेबाजी का धंधा

संचार के नए साधनों के आने के साथ ही सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग इतना बड़ा धंधा हो गया है कि सोचा नहीं जा सकता। इसका नेटवर्क बहुत व्यापक है। कराची, जोहानसबर्ग और लंदन जैसे शहर इसके प्रमुख गढ़ हैं। 80 और 90 के दशक में जब वन-डे क्रिकेट के आयोजन शारजाह में शुरू हुए तो इसे और पंख लगे।

भारत में क्रिकेट मैचों के दौरान बड़े पैमाने पर सट्टा लगता है...

1. रेट कैसे तय होते हैं

भारत में क्रिकेट की जो सट्टेबाजी होती है, वो अवैध है. इसके रेट दुबई या पाकिस्तान में तय होते हैं। वहां से रेट की जानकारी भारतीय उपमहाद्वीप के सटोरियों और अन्य जगहों पर धंधे से जुड़े लोगों को पहुंचाई जाती है। ये रेट सबसे पहले मुंबई पहुंचते हैं। फिर वहां से बड़े बुकिज और फिर वहां से छोटे बुकिज के पास पहुंचते हैं। अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर उसका रेट 80-83 आता है, तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाने पर एक लाख रुपए मिलेंगे। दूसरी टीम पर 83 हजार लगाने पर एक लाख जीत सकते हैं, लेकिन जिस टीम पर सट्टा लगाया है, वो अगर हार गई तो लगाया गया पूरा पैसा डूब जाएगा। मैच आगे बढ़ने के साथ टीमों के रेट भी बदलते रहते हैं।

2. कैसे चलता है ये 'खेल'

सट्टे पर पैसे लगाने वाले को पंटर कहते हैं। वहीं सट्टे के स्थानीय संचालक को बुकी कहा जाता है। सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है। सट्टा लगाने वाले पंटर दो शब्दों खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं। यानी किसी टीम को फेवरेट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाया कहते हैं। ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं।

क्या होता है सट्टेबाजी का डिब्बा

क्रिकेट सट्टेबाजी में हर पल का हाल जानने के लिए एक उपकरण इस्तेमाल किया जाता है, जिसे डिब्बा कहते हैं। जिस इंस्ट्रूमेंट में ये रेट आते हैं, उसे सट्टेबाजी की दुनिया में डिब्बा कहा जाता है। ये दरअसल ऑनलाइन का ही एक उपकरण होता है। जो टेलीफोन लाइन या मोबाइल के जरिए चलता है। इस डिब्बे पर सट्टेबाजी के रेट आते हैं। पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में लाइन का ही करोड़ों, अरबों का व्यवसाय है। ये डिब्बा आमतौर पर सटोरियों और मुख्य सटोरियों के पास होता है, लेकिन पंटर भी ये कनेक्शन ले सकते हैं। इसके बदले उन्हें इसका कनेक्शन और किराया देना होता है। डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर से होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है।

क्या होता रेट का कोड वर्ड

मैच की पहली गेंद से लेकर टीम की जीत तक भाव चढ़ते-उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है। जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं। अगर किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो फोन कर एजेंट को मैंने चवन्नी खा ली कहना होता है।

कहां तय होते हैं कोड वर्ड

करोड़ों के सट्टे में बुकीज कोड वर्ड के जरिए हर गेंद पर दांव चलते हैं। हैरानी की बात है कि ये कोड नेम हिंदुस्तान से नहीं बल्कि जहां से सट्टे की लाइन शुरू होती है, वहीं इन कोड नेम का नामकरण किया जाता है। जी हां ये कोड दुबई और कराची में रखे जाते हैं। कोड वर्ड का ये सारा खेल मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से बचने के लिए किया जाता है।

आईपीएल के हर मैच पर कितनी सट्टेबाजी

चार साल पहले माना गया था कि भारत में हर बड़े क्रिकेट मैच पर करीब तीन बिलियन डालर (तीन सौ करोड़ रुपए) का कारोबार होता है। ऐसा ही हाल पाकिस्तान का है। आईपीएल जैसी लीग अपने चरित्र और खेल के फार्मेट के कारण सट्टेबाजों और फिक्सरों के लिए मुफीद बन चुका है। अंदाज है कि हर आईपीएल मैच पर करीब डेढ़ बिलियन डालर (डेढ़ सौ करोड़ रुपए) की सट्टेबाजी होती है। वहीं पाकिस्तान की पाकिस्तान सुपर लीग में भी सट्टेबाजों का जाल कसा हुआ बताया जा रहा है।

सट्टे की अनिवार्य शर्तें

क्रिकेट मैच में सट्टा आंख बंद करके नहीं लगाया जाता। बुकीज और पंटर दोनों भाव लगाने व खोलने से पहले यह भी देखते हैं कि मैच किन दो टीमों के बीच खेला जाएगा। यही नहीं मैच किस जगह खेला जाएगा, पिच किस प्रकार की होगी, वहां का तापमान कैसा होगा तथा टीम में कौन-कौन खिलाड़ी होंगे। ये सब जानने के बाद किसी मैच में सट्टा भाव तय होता है।

 सट्टेबाजी और फिक्सिंग का कारोबार

करीब पांच साल पहले सीबीआई के एक सेमिनार में वो तीन नाम उजागर किए गए थे। जो एशिया में बैठकर पूरी दुनिया में खेलों की अवैध सट्टेबाजी और फिक्सिंग को अंजाम देते हैं। ये वो लोग हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा धंधा खड़ा किया। ये इतने सुव्यवस्थित तरीके से चलता है कि सोचा भी नहीं सकते। खेलों में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा कारोबार भी संगठित और संरचनात्मक ढंग से एशिया में जड़ें जमा चुका है। वर्ष 2014 में खेलों में सट्टेबाजी 38 लाख डॉलर की मानी गई थी।

छत्तीसगढ़ से भी है क्रिकेट मैचों में सट्टेबाजी कनेक्शन

छत्तीसगढ़ में भी क्रिकेट की सट्टेबाजी का काम तेज गति से चल रहा है। पिछले दिनों पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर कार्रवाई करते हुए आठ सटोरियों को गिरफ्तार किया था। जिसमें पांच सटोरिए पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे। रायपुर की गंज थाना पुलिस ने बताया कि आरोपी पश्चिम बंगाल के 24 परगना में बैठकर सट्टेबाजी का संचालन कर रहे थे। इसमें पांच आरोपियों को 24 परगना से और तीन आरोपियों को रायपुर से गिरफ्तार किया गया है।

सटोरियों के पास से 10 करोड़ के लेन-देन के पुख्ता सबूत मिले

सटोरियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए रायपुर पुलिस ने आरोपियों के पास से 24 बैंक खाते, 24 एटीएम कार्ड जब्त किया है. जिनमें से एक दर्जन बैंक खाते सटोरियों के हैं. पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करके रायपुर ले आई। इनके पास से 4 लैपटॉप, 1 कैमरा, कैलकुलेटर, 27 मोबाइल फोन (7 सील पैक फोन), 1 राउटर, 11 ATM कार्ड, पासबुक समेत लाखों का सामान जब्त किया गया है। पुलिस को आरोपियों के पास से करीब 10 करोड़ रुपए के लेनदेन के पुख्ता सबूत मिले हैं। जिसमें जिसमें सट्टे के पैसों का लेनदेन होता था। इन खातों में लाखों रुपए जमा है जिसके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की बात कही जा रही है।

यहां के रहने वाले थे आरोपी..

  1. प्रकाश बड़वानी रायपुर का निवासी है।
  2. जयप्रकाश सोनी राजस्थान का रहने वाला।
  3. प्रफुल्ल मार्टिन जबलपुर निवासी है।
  4. फेलिक्स मारियान जबलपुर का रहने वाला है।
  5. आशीष हैरी का भी तालुक्क जबलपुर से है।
  6. रेशु कुमार उर्फ गोलू बिहार का निवासी है।
  7. सोहन उर्फ रॉकी बलौदाबाजार का रहने वाला है।
  8. किशन सबनानी रायपुर का निवासी है।
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