जानिए महाशिवरात्रि पर रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कैसे करें

रुद्राक्ष के जन्मदाता भगवान शंकर हैं। रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रिय आभूषण, दीर्घायु प्रदान करने वाला और अकाल मृत्यु को टालने वाला है। इसे अभिमंत्रित करके धारण करने से चमत्कारी लाभ होते हैं।

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Rahul Garhwal
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How to Invigorate Rudraksha

BHOPAL. 8 मार्च को महाशिवरात्रि है। इस दिन धूमधाम से भगवान शिव की पूजा-अर्चना होगी। भगवान शिव का प्रिय आभूषण है रुद्राक्ष। रुद्राक्ष के जन्मदाता भगवान शिव हैं। रुद्र का अर्थ है शिव और अक्ष का अर्थ है वीर्य, रक्त, अश्रु। रुद्र और अक्ष से मिलकर रुद्राक्ष बना है। रुद्राक्ष सफेद, लाल, मिश्रित रंग और काले रंग का होता है।

कहां पैदा होता है रुद्राक्ष

रुद्राक्ष एक अद्भुत वस्तु है। दुनिया में सिर्फ नेपाल, जावा, सुमात्रा, इंडोनेशिया, बर्मा, असम और हिमाचल के कई क्षेत्रों में ये पैदा होता है। रुद्राक्ष एक सुपरिचित बीज है जिसे पिरोकर मालाएं बनाई जाती हैं। रुद्राक्ष में अलौकिक गुण होते हैं। इसके चुम्बकीय प्रभाव और स्पर्श शक्ति को साइंस ने भी स्वीकार किया है। रुद्राक्ष रोगों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि देने वाला होता है।

कितने तरह के होते हैं रुद्राक्ष

रुद्राक्ष के खुरदरे और कुरूप बीज (गुठली) पर धारियां होती हैं। इनकी संख्या 1 से 21 तक होती है। धारियों को मुख कहते हैं। मुख संख्या के आधार पर रुद्राक्ष के गुण, प्रभाव और कीमत में अंतर रहता है। एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ होता है। 2 से लेकर 7 मुखी रुद्राक्ष आसानी से मिल जाते हैं। 8 से 14 मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ होते हैं। वहीं 15 से 21 मुखी रुद्राक्ष बेहद दुर्लभ होते हैं।

रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कैसे करें ?

सभी रुद्राक्ष भगवान शिव को बेहद प्रिय हैं। कोई भी रुद्राक्ष धारण करने पर साधक महादेव की कृपा का पात्र हो जाता है। रुद्राक्ष को धारण करने से पहले अभिमंत्रित करना जरूरी होता है।

  • रुद्राक्ष या माला जो भी मिले उसे गंगाजल या पवित्र जल से स्नान कराएं।
  • रुद्राक्ष का चंदन, अक्षत, धूप-दीप से पूजन करिए।
  • पूजन के बाद ओम नम: शिवाय मंत्र का 1100 जप करके 108 बार हवन करिए।
  • रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श कराकर ओम नम: शिवाय मंत्र जपते हुए लाल धागे में पिरोकर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके धारण करिए।

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रुद्राक्ष के चमत्कार

108 रुद्राक्ष की माला (108 दाने की) अमिट प्रभावकारी होती है। 3 पंचमुखी रुद्राक्ष या एक रुद्राक्ष गले या बाजू पर धारण करने से भी पूरा लाभ होता है। रुद्राक्ष व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और भौतिक कष्टों को दूर करता है। आस्था, सुचिता और देवत्व की भावना जागृत करता है। भूत-बाधा, अकाल मृत्यु, आकस्मिक दुर्घटना, मिग्री, हृदय और ब्लड प्रेशर संबंधित रोगों को दूर करता है।

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