New Delhi. भारत में शादियां बड़ी खुशी का अवसर होती हैं। विवाह समारोह कभी-कभी कई दिनों तक चलता है और इसकी तैयारी महीनों पहले ही शुरू हो जाती हैं। ऐसे समारोहों में लाखों और करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए जाते हैं। हजारों लोगों के खाने का इंतजाम, जिनमें तरह-तरह के व्यंजन होते हैं, लेकिन अब इस पर रोक लग सकती है, अगर संसद ने एक बिल पारित कर दिया तो। कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर हलचल मचा दी है। शादियों में बढ़ती फिजूलखर्ची रोकने के लिए बरात में मेहमानों की संख्या 50 तक सीमित करने और विवाह भोज में अधिकतम दस पकवान बनवाने का सुझाव दिया है। इस विधेयक की बातें अगर मान ली जाएं तो आर्थिक दृष्ट से कमजोर उन परिवारों को बहुत राहत मिल सकती है जो अभी एक-दूसरे की देखादेखी में कड़ी मेहनत से कमाए लाखों रुपए शादियों में फूंक देते हैं। हालांकि अभी इस पर विचार शुरू हो गया है।
शगुन या उपहार में 2500 रुपए से अधिक नहीं दे सकेंगे
पंजाब के खडूर साहिब से कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने संसद के मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार (4 अगस्त) को लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। बिल में बरात में 50 लोगों को ही शामिल करने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही मेहमानों के स्वागत में अधिकतम दस पकवान बनवाने की बात भी कही है। इसके अलावा शगुन या उपहार में 2500 रुपये से अधिक नहीं दिए जाने को लेकर भी बात कही है। कुलमिलाकर इस बिल का उद्देश्य महंगी शादियों पर रोक लगाना है।
कोरोनाकाल में भी घटाई गई थी मेहमानों की संख्या
लोकसभा में लाया गया यह विधेयक फिलहाल किसी के लिए बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इसके बहाने शाही शादियों पर रोक लगाने की लोगों के बीच चर्चा शुरू हो गई है। उल्लेखनीय है कोरोना काल में संक्रमण की रोकथाम के लिए वैवाहिक समारोहों में मेहमानों की संख्या अधिकतम 50 कर दी गई थी। हालांकि बाद में कोरोना से राहत मिलते ही इसमें बाद में परिवर्तन कर दिया गया।
इससे पहले 2017 में बिहार की सांसद ने पेश किया था ऐसा ही बिल
2017 में सुपौल (बिहार) से कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने शादी में फिजूलखर्ची में कमी करने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल तैयार था। इस बिल में मेहमानों की संख्या सीमित करने के इलावा 5 लाख रुपए से अधिक खर्च करने पर रोक लगाने की सिफारिश की गई थी। अगर किसी ने सीमित की गई राशि से अधिक पैसे खर्च किए तो उसपर 10 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा और ये पैसा गरीब लड़कियों की शादियों पर खर्च किया जाएगा। हालांकि बाद में इस पर चर्चा नहीं हुई और यह बिल ठंडे बस्ते में चला गया।
क्या है प्राइवेट मेंबर्स बिल, क्यों शुक्रवार को ही पेश होता है?
संसद में पेश होने वाले सार्वजनिक बिल और प्राइवेट मेंबर्स बिल में अंतर होता है। प्राइवेट मेंबर बिल को कोई भी संसद सदस्य यानी सांसद पेश करता है। शर्त सिर्फ यह है कि वो मंत्री नहीं होना चाहिए। ऐसे ही सासंद को प्राइवेट मेंबर कहते हैं। रोचक बात यह है कि प्राइवेट मेंबर्स के विधेयकों को केवल शुक्रवार को पेश किया जा सकता है और उन पर चर्चा भी इसी दिन की जा सकती है। अगर शुक्रवार को कोई प्राइवेट मेंबर्स बिल चर्चा के लिए नहीं होता तो उस दिन सरकारी विधेयक पर चर्चा की जाती है, जबकि सरकारी या सार्वजनिक विधेयकों को सरकार के मंत्री पेश करते हैं और ये किसी भी दिन पेश किए जा सकते हैं। प्राइवेट मेंबर्स बिल के साथ ऐसा नहीं है। प्राइवेट मेंबर्स बिल सदन में पेश किए जाने लायक हैं या नहीं इसका फैसला लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति करते हैं। सदन में पेश होने की अनुमति मिलने के बाद प्राइवेट मेंबर बिल यह समीक्षा के लिए विभिन्न विभागों में जाते हैं। जब वहां से इन बिलों को अनुमोदन मिल जाता है, तब ही ये सदन के पटल पर रखे जाते हैं।