IMA ने जताया जेनरिक दवाओं की क्वालिटी पर संदेह, जेनेरिक दवाएं अनिवार्य करने का फैसला टालने की मांग

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Chandresh Sharma
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IMA ने जताया जेनरिक दवाओं की क्वालिटी पर संदेह, जेनेरिक दवाएं अनिवार्य करने का फैसला टालने की मांग

New Delhi. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने नेशनल मेडिकल कमीशन से मांग की है कि जेनेरिक दवाओं को अभी अनिवार्य न किया जाए। ऐसोसिएशन ने जेनेरिक दवाओं को अनिवार्य बनाने वाले नियमों को कुछ वक्त के लिए टालने की मांग की है। दरअसल आईएमए ने देश में बनी दवाओं के मानक को लेकर चिंता जताई है, हवाला दिया गया है कि देश में 0.10 फीसदी से भी कम का क्वालिटी चेक किया जाता है। आईएमए ने यह सवाल भी उठाया है कि यदि डॉक्टरों को ब्रांडेड दवाएं प्रिस्क्राइब करने की अनुमति नहीं दी जाएगी तो ऐसी दवाओं को लाइसेंस ही क्यों दिया जाना चाहिए। 



NMC ने जारी किया था आदेश



बता दें कि 2 अगस्त को नेशनल मेडिकल कमीशन ने प्रोफेशनल कंडक्ट ऑफ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्शिनर रेगुलेशन जारी कर डॉक्टरों के लिए प्रिस्क्रिप्शन में जेनरिक दवाएं लिखना अनिवार्य कर दिया था। इस नियम का पालन न करने पर डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन और कुछ समय के लिए लाइसेंस रद्द करने की भी बात रेगुलेशन में कही गई थी। 



आदेश टालने क्वालिटी की गारंटी का दिया हवाला



आईएमए ने कहा है कि अगर डॉक्टरों को ब्रांडेड दवाएं लिखने की अनुमति नहीं दी जाएगी तो ऐसी दवाओं को लाइसेंस क्यों दिया जाना चाहिए। जेनरिक दवाओं की क्वालिटी पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए आईएमए ने कहा कि जेनरिक दवाओं की क्वालिटी की गारंटी नहीं है। देश में क्वालिटी कंट्रोल बेहद कमजोर है। जब तक सरकार बाजार में जारी सभी दवाओं की क्वालिटी का भरोसा नहीं दिला देती, तब तक इस फैसले को टाल दिया जाना चाहिए। 



एनएमसी ने किया था नियमों में बदलाव



इससे पहले एनएमसी ने इंडियन मेडिकल काउंसिल की ओर से 2002 में जारी नियमों में बदलाव किया था। उन्होंने उसमें सजा का प्रावधान भी जोड़ा था। बदले गए नियमों के तहत डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में बीमारी के लिए मरीज को दिए जाने वाले फॉर्मूले को लिखना अनिवार्य किया गया था। डॉक्टरों को दवा का ब्रांड लिखने पर मनाही कर दी गई थी। 



दवाओं के खर्च को देखकर लिया फैसला



एनएमसी के रेगुलेशन के अनुसार देश में लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे हैं। इलाज में भी बड़ी राशि दवाओं पर ही खर्च हो रही है। रेगुलेशन में हवाला दिया गया है कि जेनरिक दवाएं ब्रांडेड मेडिसन की तुलना में 30 से 80 फीसदी तक सस्ती हैं। ऐसे में चिकित्सक यदि मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखेंगे तो हेल्थ पर होने वाले खर्च में कमी आएगी। 


फैसला टालने की मांग क्वालिटी पर उठाये सवाल IMA ने किया फैसले का विरोध जेनरिक दवाएं अनिवार्य करने का फैसला demands postponement of decision raises questions on quality IMA opposes decision Decision to make generic medicines mandatory
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