मौसम विभाग ने इस बार सामान्य बारिश का पूर्वानुमान जताया, स्काईमेट ने कहा था- इस बार सामान्य से कम बारिश होगी

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Atul Tiwari
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मौसम विभाग ने इस बार सामान्य बारिश का पूर्वानुमान जताया, स्काईमेट ने कहा था- इस बार सामान्य से कम बारिश होगी

NEW DELHI. भारत सरकार ने प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट के दावे को खारिज कर दिया है। अब मौसम विभाग (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय) ने 2023 में सामान्य बारिश का अनुमान जताया है। 10 अप्रैल को स्काईमेट वेदर ने दावा किया था कि इस साल मॉनसून में सामान्य से कम बारिश होगी। स्काईमेट के कहा था- देश के नॉर्दन और सेंट्रल रीजन में कम बारिश होने की सबसे ज्यादा संभावना है।





देश के किस हिस्से में सामान्य बारिश होगी, विज्ञान मंत्रालय ने बताया





पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि भारत में दक्षिणी-पश्चिम मॉनसून के समय भारत में सामान्य बारिश होगी। साथ ही दक्षिण भारत, पूर्वी मध्य भारत, पूर्वी भारत, उत्तरी-पूर्वी भारत और उत्तरी-पश्चिम भाग में सामान्य बारिश होगी। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि उत्तरी-पूर्वी भारत और उत्तरी-पश्चिम भारत के कुछ अंचलों में बारिश सामान्य से कम होगी। साथ ही पश्चिमी मध्य भारत के भी कुछ इलाकों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है।





स्काईमेट ने ये दावा किया था





प्राइवेट वेदर एजेंसी ने दावा करते हुए 10 अप्रैल को कहा था कि भारत में इस साल बारिश होने की संभावना सामान्य से भी कम है। ला नीना के खत्म होने से 20% सूखे की संभावना है। साथ ही अल नीनो भी हावी हो सकता है। बारिश कम होने के कारण इस साल फसलों पर संकट आ सकता है। इससे फसलें भी महंगी हो सकती हैं।





स्काईमेट के अनुसार, इस साल जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर चार महीनों में 868.6 एमएम की बारिश का LPA 94% रहेगा। देश के उत्तरी और मध्य भागों में बारिश की कमी होगी। गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में भी जुलाई और अगस्त के दौरान अपर्याप्त बारिश होगी। उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में साल की दूसरी छमाही में सामान्य से कम बारिश की संभावना है। 





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इसे सामान्य तो इसे सामान्य से कम बारिश कहते हैं





भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) की 96% बारिश हो सकती है। यदि बारिश LPA के 90-95% के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम कहा जाता है। LPA 96%-104% हो तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है। LPA अगर 104% से 110% के बीच है तो सामान्य से ज्यादा बारिश कहते हैं। 110% से ज्यादा को एक्सेस बारिश और 90% से कम बारिश यानी सूखा पड़ना कहा जाता है।





काफी हद तक बारिश पर निर्भर है भारतीय अर्थव्यवस्था





देश में सालभर जितनी बारिश होती है, उसका 70% पानी दक्षिण-पश्चिम मॉनसून में बरसता है। अब भी हमारे देश में 70% से 80% किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं। ऐसे में उनकी पैदावार पूरी तरह से मॉनसून के अच्छे या खराब रहने पर निर्भर करती है। खराब मानसून होने पर महंगाई भी बढ़ती है।





एग्रीकल्चर सेक्टर की भारतीय अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 20% के करीब है। वहीं, हमारे देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र ही रोजगार देता है। अच्छी बारिश का मतलब है कि आधी आबादी की आमदनी फेस्टिव सीजन से पहले अच्छी हो सकती है। जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता भी बढ़ेगी।



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