Mumbai. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री का विवाद लगातार सुर्खियों में हैं। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा उठाया गया यह मुद्दा उछलने से पहले ही जमींदोज किया जा रहा है। यह काम बीजेपी नहीं बल्कि विपक्ष में बैठे कुछ दल खुद ही कर रहे हैं। अव्वल तो कांग्रेस इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही तो वहीं अब एनसीपी के अजीत पवार ने इस विवाद को सिरे से खारिज कर दिया है। एक सभा को संबोधित करते हुए एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि मोदी अपने करिश्मे के बलबूते 2014 में चुनाव जीते थे। अब 9 साल बाद उनकी डिग्री पर सवाल उठाया जाना उचित नहीं हैं।
यह बोले अजीत पवार
अजीत पवार ने एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान कहा कि साल 2014 में क्या जनता ने पीएम मोदी की डिग्री के आधार पर उन्हें वोट दिया था? उनका जो करिश्मा था, उससे उन्हें मदद मिली और वो चुनाव जीते। पवार ने कहा कि वो नौ सालों से देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अब ऐसे समय में उनकी डिग्री के बारे में पूछना उचित नहीं है। हमें उनसे महंगाई और बेरोजगारी पर सवाल करने चाहिए। उनकी डिग्री कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है। एनसीपी नेता इतने में ही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि पीएम की डिग्री पर स्पष्टता मिल जाएगी तो क्या महंगाई पर लगाम लग जाएगी? उनकी डिग्री का स्टेटस जानने के बाद लोगों को नौकरियां मिल जाएंगी?
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अरविंद केजरीवाल ने उठाया था सवाल
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी को अपने कॉलेज की डिग्रियों को जनता के बीच रखना चाहिए। इसके लिए उन्होंने पूरी दिल्ली में हजारों पोस्टर भी लगवाए हैं। केजरीवाल ने अपने ट्वीट में भी कहा कि क्या देश को यह जानने का भी अधिकार नहीं है कि उनके पीएम ने कितनी पढ़ाई की है? उन्होंने अदालत में अपनी डिग्री दिखाने का कड़ा विरोध किया,क्यों? और जो उनकी डिग्री देखने की मांग करेंगे उन पर जुर्माना लगाया जाएगा? यह क्या हो रहा है? अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा पीएम देश के लिए बहुत खतरनाक है।
विपक्ष भी नहीं चाहता केजरीवाल के पीछे चलना
दरअसल विपक्ष भी आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के पीछे नहीं चलना चाहता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हों, या फिर बिहार के सीएम नीतिश कुमार, विपक्ष के दूसरे बड़े चेहरे भी आम आदमी पार्टी को विपक्ष का नेतृत्व देने में कतराते नजर आते हैं। कांग्रेस की तो बात ही छोड़ दी जाए। दरअसल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद आम आदमी पार्टी अब आम चुनाव पर फोकस कर रही है, लेकिन विपक्षी दल उसकी इस आमद को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं।