देश दुनिया न्यूज: भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया विवाद सामने आया है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर बिना हिसाब-किताब के नकदी मिलने के आरोप के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गहन जांच शुरू की। एक विशेष कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की, जिसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया है।
अब, उनके सामने इस्तीफा देने का विकल्प रखा गया है, और अगर वे इसे स्वीकार नहीं करते, तो उनके खिलाफ बर्खास्तगी की सिफारिश की जाएगी। इस मामले का भविष्य पूरी तरह से उनकी प्रतिक्रिया और CJI की दिशा पर निर्भर करेगा।
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जस्टिस वर्मा पर लगे थे आरोप
14 मार्च 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित घर में आग लग गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, आग बुझाने के दौरान कर्मचारियों को घर में बिना हिसाब-किताब के नकदी मिली। उस समय जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश में यात्रा पर थे, जबकि घर पर केवल उनकी बेटी और बुजुर्ग मां मौजूद थीं। एक वीडियो भी सामने आया जिसमें जलते हुए नकदी के बंडल दिखाई दिए थे। इस घटना के बाद, जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, और उन्होंने इसे साजिश करार दिया।
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जांच के लिए बनी थी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया, और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे। 25 मार्च को शुरू हुई जांच के बाद, कमेटी ने 4 मई को अपनी रिपोर्ट CJI संजीव खन्ना को सौंप दी।
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दिया गया इस्तीफा देने का विकल्प
रिपोर्ट मिलने के बाद, CJI ने जस्टिस वर्मा को 9 मई तक जवाब देने का समय दिया है। बताया जा रहा है कि उन्हें पहला विकल्प इस्तीफा देने का दिया गया है। अगर वे इस्तीफा नहीं देते, तो उनकी बर्खास्तगी के लिए राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
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जस्टिस वर्मा ले रहे वकीलों की टीम से सलाह
जांच के दौरान, जस्टिस वर्मा ने वरिष्ठ वकीलों की टीम से कानूनी सलाह ली थी। उनके घर का दौरा करने वाले वकीलों में सिद्धार्थ अग्रवाल, अरुंधती काटजू, और तारा नरूला शामिल थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट