पहलगाम आतंकी हमला भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक नया मोड़ लेकर आया है। इस हमले ने दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है। इसके परिणामस्वरूप, दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे अहम द्विपक्षीय समझौतों पर संकट मंडरा रहा है।
आइए जानते हैं कि ये समझौते क्या हैं और उनके वर्तमान हालात क्या हैं...
1. नेहरू-लियाकत समझौता (1950)
मकसद: यह समझौता दोनों देशों की सरकारों को अपने-अपने देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का आदेश देता है। इसके तहत एक अल्पसंख्यक आयोग का गठन भी किया गया था, ताकि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की निगरानी की जा सके।
क्या हुआ: भारत में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और फलने-फूलने की आज़ादी मिली, लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म बढ़ता गया। इस समझौते का अब कोई प्रभावी क्रियान्वयन नहीं रहा।
2. सिंधु जल संधि (1960)
मकसद: इस संधि के तहत पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, और चिनाब) का पानी पाकिस्तान को और पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) का पानी भारत को दिया गया था।
क्या हुआ: यह संधि 65 वर्षों तक प्रभावी रही। हालाँकि, पहलगाम हमले के बाद भारत (India) ने इस संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया है।
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3. शिमला समझौता (1971)
मकसद: यह समझौता दोनों देशों के बीच विवादों को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने और नियंत्रण रेखा (एलओसी) का सम्मान करने पर आधारित था।
क्या हुआ: अब पाकिस्तान ने इस समझौते को तोड़ने का ऐलान किया है। यदि यह समझौता टूटता है, तो एलओसी की बाध्यता समाप्त हो जाएगी, जिससे दोनों देशों के लिए सीमाओं पर हमलावर कार्रवाई करना आसान हो सकता है।
4. धार्मिक स्थलों की यात्रा पर प्रोटोकॉल (1974)
मकसद: यह समझौता भारत और पाकिस्तान के तीर्थ स्थलों की यात्रा को सुगम बनाना था, जिसमें दोनों देशों के नागरिकों को अपने धार्मिक स्थलों की यात्रा की अनुमति दी जाती थी।
अब क्या: फिलहाल इसे निलंबित करने की बात नहीं की गई है, लेकिन बढ़ते तनाव के बीच भविष्य में इसका भी असर पड़ सकता है।
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5. परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारी पर समझौता (1988)
मकसद: यह समझौता दोनों देशों को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारी साझा करने और एक-दूसरे के प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए था।
अब क्या: पाकिस्तान ने इस समझौते को खत्म करने की बात की है, जिससे दोनों देशों के बीच परमाणु सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।
6. हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की रोकथाम (1991)
मकसद: यह समझौता दोनों देशों के सैन्य विमानों को एक-दूसरे के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकता था।
अब क्या: पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच हवाई उल्लंघन की संभावना बढ़ सकती है।
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7. लाहौर घोषणा (1999)
मकसद: यह समझौता दक्षिण एशिया में सैन्य तनाव को कम करने और परमाणु दौड़ को खत्म करने के उद्देश्य से किया गया था।
क्या हुआ: इस समझौते के मात्र ढाई महीने बाद पाकिस्तान ने करगिल युद्ध (Kargil War) छेड़ दिया, जिससे यह समझौता स्वतः समाप्त हो गया।
8. एलओसी युद्धविराम समझौता (2003)
मकसद: यह समझौता नियंत्रण रेखा और संघर्ष विराम के लिए सहमति देता था।
क्या हुआ: पाकिस्तान ने इस समझौते का उल्लंघन 2008 से नियमित रूप से किया है। हालांकि, 2021 में दोनों देशों ने इसे फिर से लागू करने की कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तान ने इसे तोड़ा और भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
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भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर भविष्य के प्रभाव
पहलगाम आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को फिर से तनावपूर्ण बना दिया है। इन द्विपक्षीय संधियों के खतरे में पड़ने से न सिर्फ दोनों देशों के बीच राजनीतिक रिश्तों पर असर पड़ेगा, बल्कि दक्षिण एशिया की शांति और सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है।
पहलगाम में आतंकी हमला