संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ताज़ा रिपोर्ट "State of the World Population 2025: The Real Fertility Crisis" के अनुसार, भारत की जनसंख्या अप्रैल 2025 तक 146.39 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई है। इसके साथ ही भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है, जबकि चीन की जनसंख्या 141.61 करोड़ बताई गई है। भारत और इसके पड़ोसी देशों में किस तरह से बढ़ रही है जनसंख्या? जानते हैं thesootr के इस एक्सप्लेनर से…
170 करोड़ पर पहुंचेगी जनसंख्या, फिर होगी गिरावट
UNFPA की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जनसंख्या आने वाले चार दशकों में 170 करोड़ तक पहुंचेगी, उसके बाद यह धीरे-धीरे घटने लगेगी। इसका कारण घटती प्रजनन दर और बदलते सामाजिक-आर्थिक कारक बताए जा रहे हैं। भारत सरकार की ओर से 2019 में जारी तकनीकी विशेषज्ञ समूह की अनुमानित रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक देश की जनसंख्या 141.10 करोड़ होनी चाहिए थी, जबकि UNFPA के ताज़ा आंकड़े इससे अधिक हैं।
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क्या है TFR?
कुल प्रजनन दर (TFR) वह औसत संख्या है, जितने बच्चों को एक महिला अपने प्रजनन काल (15-49 वर्ष) में जन्म देती है। जब यह दर 2.1 होती है, तब जनसंख्या स्थिर रहती है — इसे ही प्रतिस्थापन स्तर कहते हैं। भारत अब इस स्तर से नीचे पहुंच चुका है, जो जनसंख्या में स्थिरता या गिरावट की ओर संकेत करता है।
प्रजनन दर में गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate - TFR) घटकर 1.9 हो गई है, जो कि जनसंख्या प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से कम है। इसका मतलब है कि औसतन एक महिला अपने पूरे जीवनकाल में 1.9 बच्चे जन्म दे रही है, जो आने वाले वर्षों में जनसंख्या वृद्धि को धीमा कर सकता है। वहीं हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में कुल प्रजनन दर 3.5 है। अगर अफ़ग़ानिस्तान की बात करें तो यहाँ एक महिला अपने जीवनकाल में 4.7 बच्चों को जन्म दे रही है। बांग्लादेश में यह TFR 2.1, श्रीलंका में 1.4 और भूटान में 2.0 है। नेपाल में प्रजनन दर भारत के बराबर ही 1.9 है। , चीन में पहले जनसंख्या भारत से ज्यादा थी लेकिन अब यह भारत से पीछे हो गया है। यहां टीएफ़आर 1.0 है यानी यहां लोग सिर्फ़ एक ही बच्चे को जन्म दे रहे हैं।
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जनगणना 2027 तक
भारत में आखिरी बार जनगणना 2011 में हुई थी। 2021 में होने वाली जनगणना को कोविड-19 और प्रशासनिक कारणों से स्थगित किया गया। अब सरकार ने घोषणा की है कि अगली जनगणना मार्च 2027 तक पूरी की जाएगी।आँकड़ों पर एक नजर
भारत की घटती प्रजनन दर और जनसंख्या के भविष्य को लेकर UNFPA की यह रिपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल नीतिगत योजनाओं के लिए संकेत देती है, बल्कि सामाजिक व आर्थिक रणनीतियों को फिर से परिभाषित करने का अवसर भी प्रदान करती है।