भारत लगाएगा अमेरिका के उत्पादों पर रिटेलिएटरी टैरिफ, WTO को दी जानकारी

भारत ने अमेरिका के स्टील-एल्युमिनियम टैरिफ के जवाब में सेब, बादाम जैसे 29 प्रोडक्ट्स पर जवाबी टैरिफ लगाने जा रहा है। भारत ने इस टैरिफ का प्रस्ताव WTO में पेश किया है।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Indo-US tariff war
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भारत सरकार अमेरिका से आने वाले कुछ उत्पादों पर जवाबी टैरिफ (Retaliatory Tariff) लगाने की तैयारी में है। यह कदम अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर लगाए गए सुरक्षा शुल्क के खिलाफ उठाया जा रहा है। भारत ने इस प्रस्ताव की जानकारी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) को दे दी है।

किन उत्पादों पर लगाया जाएगा टैरिफ?

अमेरिकी टैरिफ के बदले में भारत ने अमेरिका के कुल 29 उत्पादों पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है। इनमें शामिल हैं:

  • सेबफल (Apples)
  • बादाम (Almonds)
  • नाशपाती (Pears)
  • बोरिक एसिड (Boric Acid)
  • एंटी-फ्रीजिंग प्रेपरेशन (Anti-freezing Preparations)
  • लोहे और स्टील के सामान (Iron and Steel Articles)
  • भारत का दावा है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए सुरक्षा उपायों से भारत के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

7.6 अरब डॉलर का व्यापार प्रभावित

भारत ने WTO को बताया कि अमेरिका के इन कदमों से लगभग 7.6 अरब डॉलर के स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों का आयात प्रभावित हुआ है। इसके चलते 1.91 अरब डॉलर का अतिरिक्त शुल्क वसूला गया है। भारत का कहना है कि यह WTO नियमों के खिलाफ है।

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अमेरिका ने नहीं दी WTO को जानकारी

भारत ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने जब टैरिफ लगाए, तो उसने WTO की सुरक्षा समिति को सूचित नहीं किया। भारत ने इस पर अमेरिका से परामर्श की मांग की है।

अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए उठाया कदम

भारत दुनिया में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए शुल्क के कारण भारत का व्यापार प्रभावित हुआ है। इन शुल्कों के कारण भारत के निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ा है। अब, भारत ने अमेरिका के कुछ उत्पादों पर टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना है। यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब भारत और अमेरिका के बीच एक नया व्यापार समझौता होने की कगार पर है।

राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में

अमेरिका का कहना है कि स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर टैरिफ लगाना उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) की दृष्टि से आवश्यक था। अमेरिका ने यूरोपीय यूनियन से मिले इसी तरह के अनुरोध को भी इसी आधार पर ठुकरा दिया था।

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