8 घंटे में एक ब्रेक नहीं, इंजन में वॉशरूम नहीं, बोतल में टॉयलेट कर रहे लोको पायलट

लोको पायलट्स आठ घंटे की नौकरी के दौरान एक भी ब्रेक नहीं मिलने के कारण बोतल में टॉयलेट करने को मजबूर हैं। पीरियड्स के समय महिलाओं की परेशानी और बढ़ जाती है।

author-image
Abhilasha Saksena Chakraborty
New Update
Loco Pilot

Loco Pilot

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भारतीय रेलवे के लोको पायलट काफी लंबे समय से ड्यूटी के दौरान ब्रेक की मांग कर रहे हैं। ये ब्रेक वो टॉयलेट और खाना खाने के लिए मांग रहे हैं। लेकिन रेलवे ने उनकी मांग खारिज कर दी है। इसी वजह से  रांची में इन पायलट्स की 4 अप्रैल से हड़ताल जारी है। रेलवे में काम करने वाली महिला लोको पायलट्स को इंजन में वॉशरूम सुविधा नहीं दी गई है। रांची डिवीजन की एक सीनियर लोको पायलट बताती हैं कि पीरियड्स के दौरान ज्यादा दिक्कत होती है। बिना सैनिटरी नैपकिन बदले 8-10 घंटे तक काम करना पड़ता है। कुछ महिला कर्मचारी इंजन में छिपकर नैपकिन बदलती हैं, लेकिन अब वहां भी कैमरे लगा देने से  प्राइवेसी पर सवाल उठ रहे हैं।

ब्रेक देना संभव नहीं

रेलवे ने पिछले साल जुलाई में इनकी मांगों को देखने के लिए एक कमेटी बनाई थी, जिसको एक महीने में रिपोर्ट देनी थी। कमेटी ने अप्रैल 2025 में रिपोर्ट दी। लोको पायलट की माँगों को खारिज करते हुए कहा है कि सेफ्टी और टाइमिंग के कारण ब्रेक देना संभव नहीं है। एक मामला इंजन में कैमरे लगाने का भी था। प्राइवेसी का हवाला देकर लोको पायलट इसका विरोध कर रहे थे। कमेटी ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि ये प्राइवेसी का उल्लंघन नहीं है।

मेल ड्राइवर्स भी हैं परेशान

लखनऊ डिवीजन के अनुभवी लोको पायलट संतोष सिंह कहते हैं- यूरिन रोकने से किडनी पर असर होता है। हम इंसान हैं, रोबोट नहीं। सियालदह के एक लोको पायलट ने थकान से ट्रेन रोक दी, तो उन्हें चार्जशीट दी गई और सालभर सैलरी नहीं बढ़ी।

ये भी पढ़ें:

भारतीय रेलवे में बड़े बदलाव... अब नए इंजन, तेज रफ्तार और बिना पानी के शौचालय

लोकोमोटिव में टॉयलेट होना जरूरी

ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन का कहना है कि लोको पायलट 12-13 घंटे काम करते हैं और उन्हें सिर्फ 30 घंटे का वीकली रेस्ट मिलता है। वे 10 मिनट के ब्रेक की मांग कर रहे हैं। वंदे भारत ट्रेन के क्रिएटर सुधांशु मणि मानते हैं कि लोकोमोटिव में टॉयलेट होना चाहिए, लेकिन ब्रेक के लिए ट्रेन शेड्यूल बदलना व्यावहारिक नहीं है।

ये भी पढ़े:

एशिया की पहली महिला लोकोमोटिव पायलट सुलेखा अब वंदे भारत ट्रेन की भी पहली महिला पायलट बनीं, पीएम मोदी का किया शुक्रिया

ये हो सकती हैं समस्याएं

  • यूरिन रोकने से किडनी में संक्रमण
  • लंबे समय तक बैठने से नसों में खिंचाव
  • प्रेग्नेंसी में ड्यूटी से मातृत्व स्वास्थ्य पर खतरा
  • मानसिक तनाव और अवसाद

FAQ

1. लोको पायलट्स को टॉयलेट की सुविधा क्यों नहीं मिलती?
इंजन में वॉशरूम नहीं होने के कारण लोको पायलट्स को टॉयलेट के लिए ट्रेन रोकनी पड़ती है, जो रेलवे के टाइम शेड्यूल में बाधा मानी जाती है।
2. महिला लोको पायलट्स को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
महिला लोको पायलट्स को पीरियड्स और प्रेग्नेंसी के दौरान भी बिना टॉयलेट सुविधा के ड्यूटी करनी पड़ती है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
3. क्या रेलवे में लोको पायलट्स की भर्ती पर्याप्त है?
नहीं, रेलवे में लगभग 40% पद खाली हैं। इस वजह से मौजूदा लोको पायलट्स पर अत्यधिक काम का दबाव रहता है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

रेलवे लोको पायलट भारतीय रेलवे ब्रेक टॉयलेट