Indira Gandhi Emergency : साल 1975 की 25 जून को देश में आधी रात को पीएम इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा की थी। इस इमरजेंसी के साथ ही देश की राजनीति में अमूलचूल यानी 360 डिग्री परिवर्तन आया। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में इंदिरा गांधी तक को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद देश में हुए राजनीतिक घटनाक्रम में कम से कम 10 ऐसे नेता हुए जिन्होंने राजनीति को एक नई दिशा दी। इनमें पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, जयप्रकाश नारायण, लालू प्रसाद यादव, जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव जैसे नाम शामिल हैं।
आइए हम आपको आपातकाल से निकले इन नेताओं के बारे में बताते हैं विस्तार से
1- जयप्रकाश नारायण
जयप्रकाश नारायण (जेपी) को लोकनायक के नाम से जाना जाता है। जेपी ने इंदिरा गांधी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। 1977 में जनता पार्टी के गठन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जेपी का आठ अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के चलते निधन हो गया।
2- अटल बिहारी वाजपेयी
आपातकाल के दौरान सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। जब 1977 में आपातकाल हटा तो जनता पार्टी की सरकार और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। उस सरकार में वाजपेयी ने विदेश मंत्री के रूप में काम किया।
इसके बाद जब जनता पार्टी टूटी तो उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का गठन किया और 1996 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उन्हें 2015 में 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
3- लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को भी आपातकाल के दौरान जेल में डाल दिया गया था। वे 19 महीने तक जेल में रहे। आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्य हैं। वे एनडीए सरकार में उप प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। जून 1975 में गुजरात में कांग्रेस का अभेद्य किला ढहाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब 1951 में जनसंघ की स्थापना की तो आडवाणी 1957 तक इसके सचिव रहे। उन्होंने 1973 से 1977 तक इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।
4- लालू प्रसाद यादव
आपातकाल ने जिन नेताओं के राजनीतिक करियर संवारने में मदद की, उनमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) भी शामिल हैं। लालू नौकरी छोड़कर जेपी आंदोलन (JP Movement) में शामिल हुए थे। उन्होंने 22 साल की उम्र में पहली बार राजनीति में कदम रखा और पटना यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के महासचिव का चुनाव जीता। आपातकाल के दौरान लालू प्रसाद यादव को भी गिरफ्तार कर लिया गया। वे 1977 तक जेल में बंद रहे।
लालू यादव की बेटी का नाम मीसा भारती है। लालू ने अपनी बेटी का यह नाम इसलिए रखा, क्योंकि उन्हें मीसा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था।
5- नीतीश कुमार
नीतीश कुमार इस समय बिहार के मुख्यमंत्री हैं। उन्हे भी आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था। कहा जाता है कि उन्हें गिरफ्तार करने वाले 15 पुलिस अधिकारियों और सिपाहियों को 2750 रुपये का इनाम मिला था। नीतीश को 9-10 जून 1976 की रात गिरफ्तार किया गया था। नीतीश ने 1994 में जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी की स्थापना की थी, जिसका बाद में 2003 में जनता दल (यूनाइटेड) में विलय कर दिया गया।
नीतीश कुमार 1996 में लोकसभा के लिए चुने गए। उन्हें वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया। नीतीश भाजपा के सहयोग से सबसे पहले 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। इस समय वे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सहयोग से मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं।
6- मुलायम सिंह यादव
आपातकाल के दौरान मुलायम सिंह यादव को भी जेल में डाल दिया गया। बाद में, मुलायम ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। वे देश के रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। आपातकाल के बाद जब जनता पार्टी का गठन हुआ तो मुलायम भी उसके सदस्य थे। मुलायम सिंह यादव 1954 से आंदोलन में हिस्सा लेने लगे थे, जिसकी वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
7- शरद यादव
शरद यादव के राजनीतिक करियर को बढ़ाने में भी आपातकाल का अहम योगदान रहा। अन्य नेताओं के साथ उन्हें भी 25 जून 1975 को जेल में डाल दिया गया। उस समय उनकी उम्र 28 साल थी। वे तीन राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश से लोकसभा सदस्य चुने जाने वाले पहले नेता थे।
बदायूं सीट से एक बार लोकसभा के लिए चुने गए। इसके अलावा, वे चार बार राज्यसभा सदस्य भी चुने गए। शरद का 12 जनवरी 2023 को निधन हो गया।
8- जॉर्ज फर्नांडिस
जॉर्ज फर्नांडिस (George Fernandes) आपातकाल का विरोध करने वाले प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे कभी मछुआरा तो कभी साधु का वेश धारण कर देशभर में घूमते रहे और इंदिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन करते रहे। उन्होंने अपने बाल और दाढ़ी भी बढ़ा लिए थे, ताकि किसी की पहचान में न आएं। हालांकि, उन्हें जून 1976 में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
फर्नाडिंस ने जेल में रहते हुए 1977 का लोकसभा चुनाव लड़ा और बिहार की मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। वे जनता पार्टी की सरकार में मंत्री भी बने। वे अपने राजनीतिक करियर में नौ बार सांसद चुने गए। लंबी बीमारी के बाद 29 जनवरी 2019 को उनका निधन हो गया।
9- रामविलास पासवान
लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान को आपातकाल के दौरान जेल में ठूंस दिया गया था। वे इंदिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। रामविलास पासवान 1969 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने विश्व रिकार्ड बना दिया। उन्होंने हाजीपुर सीट पर अपने प्रतिद्वंदी को सवा चार लाख मतों से हराया था।
इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज हुआ। हालांकि, इसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने इसी सीट पर अपने पिछले रिकार्ड को तोड़ते हुए पांच लाख मतों से जीत दर्ज किया था। पासवान के पास छह प्रधानमंत्रियों (वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी) के साथ काम करने का अनुभव था।
10- राजनारायण
अब बात ऐसे शख्स की करते हैं, जिसने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया और जिसकी वजह से इंदिरा गांधी को देश में आपातकाल लागू करने के लिए विवश होना पड़ा। उस शख्स का नाम है- राजनारायण। राजनारायण ने इंदिरा गांधी को आपातकाल के बाद हुए 1977 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त दी। यह हार इंदिरा को उनके ही क्षेत्र रायबरेली में मिली थी। राजनारायण ने इंदिरा को 52 हजार मतों से हराया था।
हालांकि, इससे पहले 1971 में हुए चुनाव में उन्हें इंदिरा के हाथों हार का स्वाद चखना पड़ा था, तब भी उन्होंने इंदिरा पर गलत तरीके से चुनाव जीतने का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने इंदिरा को दोषी मानते हुए उन्हें पद से बेदखल कर दिया था और उनके चुनाव को भी रद्द कर दिया था। राजनारायण बाद में केंद्रीय मंत्री भी बने।
आपातकाल के अन्य प्रमुख नेता
आपातकाल के अन्य प्रमुख नेताओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, रामकृष्ण हेगड़े, भी शामिल हैं। कहा जाता है कि पीएम मोदी ने पुलिस से बचने के लिए अपनी वेशभूषा ही बदल ली थी।