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देश में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या अप्रैल-जून की तिमाही में घट गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस तिमाही में ये संख्या 12.85 करोड़ रह गई है, जबकि जनवरी से मार्च तक यह आंकड़ा 13.13 करोड़ था। इसका मतलब है कि अप्रैल-जून के बीच करीब 28 लाख लोग असंगठित क्षेत्र से बाहर हो गए हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने बुधवार को असंगठित क्षेत्र के उद्यमों का पहला तिमाही बुलेटिन जारी किया। इसमें जनवरी-मार्च, 2025 और अप्रैल-जून, 2025 के आंकड़े शामिल हैं। बता दें कि, यह बुलेटिन ‘असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण’ का ही एक तिमाही संस्करण है।
जानें असंगठित क्षेत्र के रोजगार की स्थिति
NSO की रिपोर्ट के अनुसार, असंगठित क्षेत्र (unorganized sector) के रोजगार की स्थिति पर नजर रखने के लिए यह रिपोर्ट एक अच्छा तरीका है। दरअसल, यह रिपोर्ट असंगठित क्षेत्र के उद्यमों के सालाना सर्वे का तिमाही रूप है, जिससे हम ताजा आंकड़े और हालात समझ सकते हैं।
आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से मार्च 2025 के बीच असंगठित क्षेत्र के उद्यमों में काम करने वाले लोगों की संख्या पहली बार 13 करोड़ के आंकड़े को पार कर 13.13 करोड़ तक पहुंच गई थी। यह आंकड़ा पिछले सभी वार्षिक सर्वेक्षणों से कहीं ज्यादा था, जो एक सकारात्मक संकेत था।
महिलाओं की बढ़ रही भागीदारी
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं का हिस्सा बढ़कर 28 प्रतिशत से अधिक हो गया है। यह लैंगिक समावेशन और महिला उद्यमिता के लिए एक बेहद सकारात्मक संकेत है। यह दिखाता है कि महिला कार्यबल अब असंगठित क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
असंगठित क्षेत्र में घटा रोजगारः ऐसें समझें पूरी खबर
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डिजिटल प्रौद्योगिकी का बढ़ता उपयोग
अप्रैल-जून तिमाही में इंटरनेट का उपयोग करने वाले असंगठित क्षेत्र के उद्यमों की संख्या भी बढ़कर 36.03 प्रतिशत हो गई, जो पिछले तिमाही के 34.20 प्रतिशत से ऊपर है। यह डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने की बढ़ती गति का एक स्पष्ट प्रमाण है।
कर्मचारियों की संख्या में गिरावट
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस दौरान वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में गिरावट आई है, जो जनवरी-मार्च में 26.86 प्रतिशत थी। वह अप्रैल-जून में घटकर 24.38 प्रतिशत रह गई। वहीं, स्व-रोजगार और उद्यमशीलता की ओर रुझान बढ़ा है, क्योंकि काम करने वाले मालिकों का हिस्सा 58.29 प्रतिशत से बढ़कर 60.18 प्रतिशत हो गया है। खासतौर पर विनिर्माण क्षेत्र में यह बदलाव स्पष्ट नजर आया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यबल भी बढ़ा है, जो जनवरी-मार्च में 5.97 करोड़ था और अप्रैल-जून में बढ़कर 6.25 करोड़ पहुंच गया, जिससे यह क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा परिवार के बिना वेतन वाले कामगारों की संख्या भी बढ़ी है।
इस सर्वेक्षण में देश भर के 5,885 प्रथम चरण इकाइयों का जनवरी-मार्च और 5,893 इकाइयों का अप्रैल-जून तिमाही में सर्वेक्षण किया गया। बेरोजगारी
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