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देश के पंद्रह आरटीआई (RTI) सूचना आयुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस (Chief Justice) को पत्र लिखकर सूचना आयुक्तों के आदेश पर रोक लगाने वाली अदालतों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) को लिखे गए पत्र में सूचना आयुक्तों ने अनुरोध किया कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) और राज्य सूचना आयोगों (SIC) के आदेशों के खिलाफ याचिकाओं पर विचार नहीं करने के लिए देश भर की अदालतों को निर्देशित किया जाए।
संवैधानिक संस्था है सूचना आयोग
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित एक संवैधानिक संस्था है। यह आरटीआई के आवेदनों को स्वीकार करने से इनकार करने वाले केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों के खिलाफ की गई शिकायतों पर कार्रवाई करता है। आयोग ऐसे मामलों में भी कार्रवाई करता है जहां आरटीआई आवेदनों का जवाब देने के लिए अधिकारी उपलब्ध नहीं है। इसी तरह राज्य स्तर पर राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) एजेंसी है जिसके पास सूचना के अधिकार से संबंधित शिकायतें सुननें और संबंधित विभाग के लोक सूचना अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।
आदेशों पर कारण बताए बगैर रोक लगा रहे कोर्ट
सूचना आयुक्तों ने लिखा है कि उनके द्वारा दिए गए आदेशों पर कई हाईकोर्ट्स रोक लगा रहे हैं, इसका कोई कारण नहीं बताया जा रहा है। आरटीआई अधिनियम की धारा 23 का उल्लेख करते हुए पत्र में कहा गया है कि कानून के प्रावधानों में स्पष्ट है कि सूचना आयुक्तों के फैसलों पर अंतिम अपील का अधिकार स्वयं सूचना आयोगों के पास है, न कि अदालतों के पास। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में मध्यप्रदेश के दो मौजूदा राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह और जी. कृष्णमूर्ति शामिल हैं। अन्य हस्ताक्षर करने वालों में सेवानिवृत्त मुख्य केंद्रीय सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा और चार सेवानिवृत्त केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) शामिल हैं।