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राजस्थान में कृषि में मिट्टी की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे फसलों के उत्पादन पर संकट मंडरा रहा है। अब राजस्थान से चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। मिट्टी से आयरन खत्म (Iron Deficiency) होने के मामले में राजस्थान दूसरे नंबर पर आ गया है। जालोर, जोधपुर, पाली और नागौर जिलों में हालात चिंताजनक हैं। इनमें जालोर, जोधपुर, पाली और नागौर जैसे जिले शामिल हैं, जहां मिट्टी में आयरन औसतन 99% तक घट चुका है। इन जिलों में मिट्टी में तेजी से आयरन की कमी आ रही है। इन जिलों में उगने वाली फसलों, जैसे अनाज, दालें, सब्जियां और फल, में भी आयरन की कमी देखने को मिल रही है। हरी सब्जियां सफेद पड़ने लगी हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत जुटाए गए सैंपल की जांच के बाद यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
राजस्थान की मिट्टी से घटता आयरन चिंताजनक
विशेषज्ञों के अनुसार, मिट्टी में आयरन की कमी के कारण पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक और गोभी सफेद पड़ रही हैं, और इनमें आयरन के पोषक तत्व कम हो गए हैं। कंसल्टेंट प्लांट डॉक्टर मिशन (CPDM) के संस्थापक डॉ. प्रकाश गुप्ता ने बताया कि भारत की एक चौथाई जमीन से आयरन खत्म हो चुका है। खासकर महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक में आधी से ज्यादा जमीन में आयरन की कमी है। यह आंकड़े 2023-24 के हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यह आंकड़े इसलिए चिंताजनक हैं क्योंकि इस कमी का प्रभाव न सिर्फ इंसानों पर, बल्कि जानवरों और पूरे पर्यावरण पर भी पड़ने लगा है।
आयरन में 100 प्रतिशत तक की कमी
दरअसल डॉ. प्रकाश गुप्ता ने 36 प्रकार की फसलों पर मिट्टी में घटते आयरन की कमी के असर पर शोध किया था। जिसमें उन्होंने यह पाया गया कि इन फसलों के पत्तों में भी आयरन की कमी आई गई है। राजस्थान के जालोर, जोधपुर, पाली और नागौर जिलों की जमीन से आयरन लगभग खत्म हो चुका है उन्होंने आगे बताया कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति तेजी से कम हो रही है। आयरन में 100 प्रतिशत तक गिरावट का मतलब है कि जरूरी पोषक तत्वों का खतरनाक स्थिति से भी नीचे पहुंच जाना। इस स्थिति में पत्तेदार सब्जियों में पोषक तत्व कमी आ जाती है। उपज भी कम होगी। भोजन में आयरन तत्व न के बराबर रह जाएगा। इससे हीमोग्लोबिन की कमी आ जाएगी।
मिट्टी से आयरन खत्म होने का मतलब
मिट्टी से आयरन खत्म होने को लेकर डॉ. प्रकाश गुप्ता ने बताया कि मिट्टी में मौजूद आयरन पौधों में क्लोरोफिल और मनुष्य और जीवों में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए महत्वपूर्ण तत्व है। मिट्टी में मौजूद आयरन से पौधों के अंदर क्लोरोफिल का निर्माण होता है। ये पौधे चाहे फसल हो या सब्जी हो या फिर सामान्य पेड़-पौधे। क्लोरोफिल से पेड़-पौधों हरे होते हैं।
हीमोग्लोबिन की कमी से बढ़ सकती हैं बीमारियां
डॉ. गुप्ता ने कहा कि मिट्टी में आयरन की कमी का मतलब यह है कि पौधों में क्लोरोफिल की कमी होगी, जिससे उनकी हरीतिमा कम हो जाएगी। इसके कारण फसलों का उत्पादन घटेगा और पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी। खासकर पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक और गोभी में आयरन की कमी का असर देखा जा रहा है, जिससे शरीर में आयरन की कमी हो सकती है और हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) जैसी बीमारियां बढ़ सकती हैं।
क्यों आ रही आयरन में कमी?
जमीन में आयरन की कमी के कई प्रमुख कारण है। आज किसानों द्वारा इंटेंसिव कल्टिवेशन यानी फसलों पर फसलें लगाई जा रही हैं। खेतों में जैविक खाद से कमी से गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। पशुओं की तेजी से घटती संख्या के कारण मिट्टी को गोबर खाद नहीं पा रही है। नमक युक्त भूजल से सिंचाई होने के कारण आयरन तेजी से कम हो रहा है। क्षमता से ज्यादा रासायनिक खादों के प्रयोग से भी पोषक तत्वों पर असर पड़ रहा है।
मिट्टी की जांच नियमित और जैविक खाद को बढ़ाया
इसके समाधान के लिए डॉ. गुप्ता ने सुझाव दिया कि मिट्टी की जांच नियमित रूप से की जाए, और जैविक खाद का प्रयोग बढ़ाया जाए। इसके साथ ही फसल चक्रीय प्रणाली (crop rotation) का पालन करने की आवश्यकता है ताकि मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने में मदद मिल सके।
राजस्थान में आयरन की कमी के कारण कृषि क्षेत्र में संकट गहराता जा रहा है, और इससे न केवल उत्पादन पर असर पड़ रहा है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। राज्य सरकार और कृषि विशेषज्ञों को इस समस्या पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि कृषि संकट से निपटा जा सके और पोषक तत्वों की कमी को रोका जा सके।
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