सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार यानी आज ईशा फाउंडेशन ( Isha Foundation ) के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस की जांच पर रोक लगाई दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट ( Madras High Court ) के आदेश पर कोई भी कार्रवाई न करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु जग्गी वासुदेव ( Sadhguru Jaggi Vasudev ) ने की है। हाईकोर्ट ने कोयंबटूर पुलिस को निर्देश दिया था कि वह ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी मामलों का ब्यौरा इकट्ठा कर अदालत में पेश करें। इस मामले को लेकर जग्गी ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) से गुहार लगाई थी।
SC ने लगाई HC के फैसले पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाते हुए मामले को अपने पास ट्रांसफर करवा लिया है। कोर्ट ने अब इस मामले में 18 अक्टूबर को अगली सुनवाई तय की। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला ( Justice J.B. Pardiwala ) और जस्टिस मनोज मिश्रा ( Justice Manoj Mishra ) शामिल थे।
मद्रास हाईकोर्ट ने क्या दिया था पुलिस को आदेश
हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को पुलिस को निर्देश दिया था कि वह फाउंडेशन से जुड़े सभी मामलों की डिटेल्स पेश करें। इसके बाद, 1 अक्टूबर को तमिलनाडु के लगभग 500 पुलिसकर्मी आश्रम की जांच के लिए पहुंचे थे। इस जांच के खिलाफ सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
कैसे सामने आया मामला
मामला उस समय उठा जब तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ( Tamil Nadu Agricultural University ) से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. एस. कामराज ( Dr. S. Kamaraj ) ने मद्रास हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। जिसमें उन्होंने अपनी दो बेटियों को फाउंडेशन द्वारा अवैध रूप से बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया। उनकी दोनों बेटियां, जो इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर हैं, ईशा फाउंडेशन ( Isha Foundation ) से जुड़ी थीं। कामराज ने आरोप लगाया कि फाउंडेशन कुछ लोगों को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन ( Religion change ) कर रहा है और उन्हें भिक्षु बना रहा है, साथ ही उनके परिवार मिलने नहीं दिया जा रहा है।
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