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इजरायल ने एक बड़े सैन्य ऑपरेशन के तहत ईरान के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला किया है। इस हमले का उद्देश्य ईरान की बढ़ती सैन्य ताकत और परमाणु हथियार बनाने की कोशिशों को नष्ट करना था। शुक्रवार सुबह, इजरायली एयरफोर्स ने तेहरान और अन्य क्षेत्रों में बमबारी शुरू की, जिससे शहर के कई हिस्सों में विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं। ऐसे में ईरान ने इजराइल पर जवाबी हमला करते हुए 100 से ज्यादा ड्रोन दागे हैं, जिनका इजराइल तक पहुंचने का अनुमान 1 से 2 घंटे के भीतर है। इस हमले के बाद इजराइल डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने चेतावनी दी है कि ईरान जल्द ही एक बड़ा मिसाइल हमला भी कर सकता है।
परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य कमांडरों पर हमला
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने कहा है कि इस हमले में उनका मुख्य लक्ष्य ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाना था। उन्होंने कहा कि इजरायल ने नतांज के न्यूक्लियर प्लांट को बर्बाद किया और ईरान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों को मारने का दावा किया। नेतान्याहू ने यह भी कहा कि इजरायल ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के मुख्य केंद्रों पर हमला किया। यह हमला ईरान की सैन्य गतिविधियों को रोकने के लिए किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन चुकी हैं।
तेहरान में भारी विस्फोट
तेहरान में इजरायल द्वारा किए गए हमलों में कई सैन्य और न्यूक्लियर साइट्स नष्ट हो गईं। इनमें से कई स्थल ईरान के परमाणु कार्यक्रम के केंद्र थे, जहां ईरान के वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी परमाणु हथियार बनाने की दिशा में काम कर रहे थे। इजरायल ने इन ठिकानों पर बमबारी करके उन्हें नष्ट कर दिया, जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम में बड़ी बाधा आई है।
ईरान ने लिया बदला
ईरान के जवाबी हमले में 100 से ज्यादा ड्रोन इजराइल की ओर भेजे गए। इन ड्रोन का इजराइल तक पहुंचने का समय लगभग 1 से 2 घंटे बताया जा रहा। यह हमला इजराइल के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है, खासकर जब इजराइल पर पहले से ही ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों के हमले का दबाव है।
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बेंजामिन ने ट्रंप का किया धन्यवाद
इजरायल के प्रधानमंत्री ने इस हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का धन्यवाद किया। नेतान्याहू ने कहा, "हम राष्ट्रपति ट्रंप का धन्यवाद करते हैं, जिनकी नीतियों ने हमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रेरणा दी।" उन्होंने यह भी बताया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ इजरायल का यह हमला अमेरिकी समर्थन से प्रेरित था, जिससे इजरायल को परमाणु हथियारों के विकास को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने का साहस मिला।
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