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अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास हुए एक भीषण विमान हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का निधन हो गया। वे एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान में सवार थे, जो लंदन के लिए उड़ान भर रहा था। टेकऑफ के दौरान एयरपोर्ट के पास विमान में धमाका हुआ और विमान क्रैश हो गया। विजय रूपाणी पैसेंजर लिस्ट में नंबर 12 पर थे और वे अपनी बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। उनके निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है। आइए जानते उनका राजनीतिक करियर...
विजय रूपाणी का बचपन
विजय रूपाणी का जन्म 2 अगस्त 1956 को म्यांमार (तत्कालीन बर्मा) की राजधानी रंगून में हुआ। 1960 में उनके पिता राजकोट वापस लौट आए। रूपाणी जैन बनिया समुदाय से हैं और उनके पिता व्यापारी थे। गुजरात आने के बाद उनकी पढ़ाई यहीं हुई।
छात्र जीवन में ABVP से जुड़े
विजय रूपाणी ने छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1971 में वे जनसंघ से जुड़े और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का हिस्सा बने। रूपाणी शुरू से एक पार्टी से जुड़े रहे और अपनी विचारधारा को कभी नहीं बदला।
पहली बार कब बने विधायक?
2014 में विजय रूपाणी ने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। वाजुभाई वाला के गवर्नर बनने के बाद उनकी सीट खाली हुई थी और रूपाणी को उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया गया। उन्होंने गुजरात के राजकोट वेस्ट से विधानसभा सीट जीती।
इसके बाद, नवंबर 2014 में मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के कैबिनेट विस्तार में रूपाणी को मंत्री बनाया गया। उन्हें परिवहन, जल आपूर्ति, श्रम और रोजगार मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। फरवरी 2016 से अगस्त 2016 तक वे BJP के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 7 अगस्त 2016 को उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
मुख्यमंत्री बनने के बाद
रूपाणी का मुख्यमंत्री बनने का निर्णय पार्टी और राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए हैरान करने वाला था। आनंदीबेन पटेल के कार्यकाल में पाटीदार समाज सरकार से नाराज था और उन्हें उम्मीद थी कि इस बार पाटीदार नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इसके बावजूद, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के समर्थन से विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया।
रूपाणी का कार्यकाल और इस्तीफा
- 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बावजूद पार्टी ने 100 सीटों का आंकड़ा नहीं छुआ।
- कोविड महामारी के दौरान राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति को लेकर उनकी कड़ी आलोचना हुई।
- रूपाणी और गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल के बीच सामंजस्य की कमी थी।
- उनकी छवि एक कमजोर मुख्यमंत्री के रूप में बनी रही, और कई विधायक शिकायत करते थे कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते।
कोरोना काल में संभाला था मोर्चा
रूपाणी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए कोरोना महामारी के दौरान अहम फैसले लेने के लिए चर्चा में रहे। उन्होंने समय पर लॉकडाउन लागू किया, जिससे कुछ हद तक महामारी को काबू करने में मदद मिली। हालांकि, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में खामियों के कारण उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। कई सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, मौतों का सही आंकड़ा न बताना और स्वास्थ्य व्यवस्था की अव्यवस्थाएं सामने आईं, जिसके बाद उनकी आलोचना की गई।
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अहमदाबाद विमान हादसा