ISRO ने लॉन्च किया मिशन प्रोबा-3, सूरज के रहस्यों से उठाएगा पर्दा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने प्रोबा-3 मिशन की सफल लॉन्चिंग की। गुरूवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड-1 से PSLV-XL रॉकेट के माध्यम से इसे अंतरिक्ष में भेजा गया। जानें मिशन प्रोबा-3 के बारे में...

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Vikram Jain
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ISRO launches Mission Proba-3 from Sriharikota Space Center
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरूवार को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इस मिशन के तहत दो उपग्रहों Coronagraph Spacecraft और Occulter Spacecraft को एक साथ अंतरिक्ष में भेजा गया है, जो सूर्य के बाहरी वातावरण "कोरोना" का अध्ययन करेंगे। इस मिशन को ISRO के पीएसएलवी-सी59 रॉकेट से लॉन्च किया गया, जो इसरो का 61वां पीएसएलवी मिशन है।

ISRO ने दी मिशन की जानकारी

ISRO ने इस सफलता की जानकारी एक्स पर साझा करते हुए बताया कि अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरकर PSLV-C59 ने नया इतिहास रच दिया है। यह प्रक्षेपण NSIL (NewSpace India Ltd.) के नेतृत्व में और ISRO की अग्रणी तकनीक से हुआ है। प्रोबा-3 मिशन को लेकर इस लॉन्च को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का बेहतरीन उदाहरण बताया गया, जो भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।

प्रोबा-3 मिशन जानें क्या है?

इसरो ने प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण "कोरोना" का अध्ययन करना है। यह मिशन विशेष रूप से सूर्य के कोरोना को देखने के लिए डिजाइन किया गया है, जो सूर्य की सतह से कई गुना ज्यादा गर्म होता है और अंतरिक्ष मौसम का स्रोत है। 

सूर्य के रहस्यों को उजागर करने के लिए मिशन

इस मिशन में कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (Coronagraph Spacecraft) और ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट (Occulter Spacecraft) दो उपग्रह शामिल हैं। दोनों स्पेसक्राफ्ट सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक अद्वितीय तकनीक का उपयोग करेंगे। Occulter उपग्रह सूर्य की डिस्क को ढकने का कार्य करेगा, जिससे Coronagraph उपग्रह सूर्य के कोरोना का स्पष्ट अवलोकन कर सकेगा। यह तकनीक सूर्य के कोरोना के अध्ययन के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगी। मिशन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य सटीक फॉर्मेशन फ्लाइंग (formation flying) का प्रदर्शन करना भी है, जिसमें दोनों उपग्रहों को एक साथ निर्धारित कक्षा में स्थापित किया गया है। इस तकनीक का सफल परीक्षण भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए नए अवसर खोल सकता है।

PSLV-XL संस्करण का 26वां मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के साथ मिलकर सूर्य के रहस्यों को उजागर करने के लिए प्रोबा-3 मिशन लॉन्च किया। इसे PSLV-C59 रॉकेट (44.5 मीटर ऊंचाई) से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा गया। यह PSLV रॉकेट की 61वीं उड़ान है। यह PSLV-XL संस्करण का 26वां बड़ा मिशन है। PSLV-XL संस्करण को भारी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।

सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 5 दिसंबर 2024 को प्रोबा-3 मिशन की सफल लॉन्चिंग की। इससे पहले 4 दिसंबर को मिशन की लॉन्चिंग टाल दी गई थी, लेकिन गुरूवार की शाम 4 बजकर 4 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड-1 से PSLV-XL रॉकेट के माध्यम से इसे अंतरिक्ष में भेजा गया। मात्र 26 मिनट की उड़ान के बाद, इसरो के रॉकेट ने प्रोबा-3 उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया। दोनों उपग्रह अपनी निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंच गए। एक बार कक्षा में स्थापित होने के बाद, ये दोनों उपग्रह 150 मीटर की दूरी पर रहकर एकीकृत उपग्रह प्रणाली के रूप में काम करेंगे। यह मिशन सूर्य के कोरोना के रहस्यों को उजागर करने में मदद करेगा। प्रोबा-3 मिशन का उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण, यानी कोरोना का अध्ययन करना है। यह मिशन सूर्य के कोरोना से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों की जांच करेगा, जिससे अंतरिक्ष मौसम और सूर्य के प्रभावों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।

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