भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल 1 ने सौर लपटों की कुछ ऐसी तस्वीरें कैद कीं है जिसे देखकर सब अचंभित हैं। एल1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित है और इसकी मदद से लगातार सूर्य की तस्वीरें ली जा रही हैं। यह अभियान दो सितंबर, 2023 को शुरू हुआ था, जिसके 127 दिन बाद उपकरणों ने ये तस्वीरें भेजी हैं।
तारों के अध्ययन में सहायक
पृथ्वी से एल-1 लगभग15 लाख किलोमीटर दूरी पर है। अंतरिक्ष यान वहां से लगातार सूर्य को देखने में बिल्कुल सक्षम है। पृथ्वी का सबसे करीब तारा सूर्य है।ऐसे में इस मिशन के माध्यम से अन्य तारों के अध्ययन में सहायता मिल सकती है।
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इसरो ने एक बयान में बताया कि सोलर अल्ट्रा वॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप और विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने मई 2024 के दौरान सूर्य की गतिविधियों की तस्वीरें ली।आइये देखते हैं इन तस्वीरों को
कोरोनल मास इजेक्शन' (सीएमई) से जुड़े कई एक्स-क्लास और एम-क्लास फ्लेयर्स, जो महत्वपूर्ण भू-चुंबकीय तूफानों को जन्म देते हैं, रिकॉर्ड किए गए।
सूर्य के सक्रिय क्षेत्र में आठ से 15 मई के सप्ताह के दौरान कई बार सौर लपटे उठीं।
इसरो ने 17 मई को एसयूआईटी पेलोड द्वारा प्राप्त सूर्य की तस्वीरें जारी कीं और वीईएलसी द्वारा किए गए अवलोकनों का विवरण भी साझा किया।
पिछले साल सूर्य के 11 अलग-अलग रंग नजर आए थे
पिछले साल दिसंबर में लैग्रेंजियन बिंदु (एल-1) पर पहुंचने से पहले यान के सोलर अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप ने सूर्य की पहली पूर्ण-डिस्क तस्वीरें खींची थीं। जिसमें सूर्य 11 अलग-अलग रंगों में नजर आया था।
इन तस्वीरों के जरिए सूर्य के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर के बारे में कुछ मुख्य जानकारी भी मिली। सूर्य की नजर आने वाली सतह को फोटोस्फेयर, वहीं इसके ऊपर की पारदर्शी परत को क्रोमोस्फेयर बोला जाता है।
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