एनएमसी का निर्देश: पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले मेडिकल छात्रों पर जुर्माना नहीं

मप्र के मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को 30 लाख रु. का बॉन्ड जमा नहीं करना होगा। डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ला के अनुसार, सीट लिविंग बॉन्ड से छूट देने वाला मप्र पहला राज्य है।।

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Aparajita Priyadarshini
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मप्र के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को एनएमसी की तरफ से बड़ी राहत मिली है। जिसका डाक्टरों को लंबे समय से इंतजार था।  मेडिकल कॉलेजों में अगर कोई छात्र एमबीबीएस व बीडीएस की पढ़ाई किसी कारण से बीच में छोड़ता है तो इसके एवज में उसे 30 लाख रु. का बॉन्ड जमा नहीं करना होगा। ऐसा करने वाला मप्र देश का पहला राज्य है। एनएमसी के निर्देश के बाद अगले सत्र से ये व्यवस्था लागू कर दी जाएगी

गरीब छात्रों को मिलेगा फायदा

इस निर्णय का फायदा उन गरीब छात्रों को मिलेगा, जो कई बार सिर्फ इस वजह से दाखिला नहीं ले पाते हैं कि क्योंकि उनके पास बॉन्ड के तौर पर चुकाने के लिए भारी-भरकम राशि नहीं होती। इसके अलावा उन छात्रों को भी इसका फायदा मिलेगा, जो किन्हीं अनिवार्य कारणों से पढ़ाई बीच में छोड़ना चाहते हैं।

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सीट अपग्रेड होने पर पूर्व प्राप्त सीट छोड़ सकेंगे 

ऑल इंडिया कोटा अथवा AFMC की सीट अपग्रेड होने पर लिविंग बॉन्ड की प्रभावशीलता की अवधि स्टेट काउंसलिंग के सेकंड राउंड के दो दिन पहले शुरु होगी। तब तक यदि अपग्रेड होने पर सीट प्राप्त होती है तो पूर्व में प्राप्त सीट छोड़ सकेंगे और बॉन्ड की बाध्यता नहीं होगी। अभी तक कोई भी स्टूडेंट काउंसलिंग के अंतिम चरण के आखिरी दिन या पढ़ाई के दौरान सीट छोड़ता है तो उसे सीट लिविंग बॉन्ड देने हाता था।

2017 में 10 लाख रुपए से बढ़ाकर कर दी थी 30 लाख रुपए

ऑल इंडिया और राज्य कोटा के छात्रों के लिए अलग-अलग मेरिट लिस्ट तैयार होती है। इसी आधार पर छात्र अलग-अलग राज्यों में शुल्क जमा करवाकर सीट आवंटित करवा लेते हैं। अपने पसंद का कॉलेज मिलने के बाद सीट छोड़ देते हैं। इस कारण सीट खाली रह जाती थी। इसके चलते एनएमसी के निर्देश 2017 से पहले तक मप्र में 10 लाख रुपए सीट लीविंग बांड के तौर पर भरवाया जाता था। इसके 2017 में बढ़ाकर 30 लाख रुपए कर दिया गया था।

2019 में  मूल मार्कशीट और दस्तावेज न देने का नियम बना था

जनवरी 2024 में संसद में पीजी सीटों में सीट छोड़ने के बंधन के मुद्दे पर चर्चा हुई और गंभीर चर्चा के बाद भारत में चिकित्सा शिक्षा के मूल निकाय एनएमसी ने निर्णय लिया कि सभी राज्यों को सलाह दी जाती है कि वे मेडिकल छात्रों से अत्यधिक धन वसूलने के अपने फैसले की समीक्षा करें।

यदि वे पाठ्यक्रम पूरा किए बिना एमबीबीएस या पीजी सीटें छोड़ देते हैं, लेकिन फिर भी एमपी प्री पीजी नियमों में कहा गया है कि 30 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा, तभी छात्र को मूल मार्कशीट और अन्य मूल दस्तावेज वापस किए जाएंगे या उसे मूल दस्तावेज वापस नहीं किए जाएंगे। मध्यप्रदेश सरकार ने ये नियम 19 जून 2019 को बनाया था।

मॉपअप राउंड के लिए 2 लाख रुपए लगेंगे

पहले और दूसरे चरण में रिक्त सीटों के बाद माॅपअप राउंड शुरू होगा। इसमें चॉइस फिलिंग से पहले 2 लाख रुपए जमा करने होंगे, लेकिन यह राशि स्टूडेंटस की फीस में जोड़ दी जाएगी। डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ला के अनुसार, सीट लिविंग बॉन्ड से छूट देने वाला मप्र पहला राज्य है।  MEDICAL STUDENTS | MEDICAL COLLEGE OF MP | GOVERNMENT MEDICAL COLLEGE MP | PRIVATE MEDICAL COLLEGE MP | MEDICAL COUNSELLING | MEDICAL PRIVATE COLLEGE COUNSELLING | MEDICAL GOVERNMENT COLLEGE COUNSELLING 

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