अंबेडकर को संस्कृत नहीं आती थी- जगद्गुरु रामभद्राचार्य के इस बयान से मच गया विवाद

जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में भारतीय न्याय संहिता 2023 पर आयोजित गोष्ठी में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अंबेडकर, मनुस्मृति और मायावती को लेकर कई बयान दिए, जिससे नया विवाद खड़ा हो गया है।

author-image
Rohit Sahu
एडिट
New Update
rambhadracharya ambedkar
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyay Sanhita) पर एक महत्वपूर्ण गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने भारतीय न्याय संहिता, मनुस्मृति, अंबेडकर और मायावती पर अपने कई बयान दिए। जिसके बाद नया विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंन यह तक दावा कर दिया की अंबेडकर संस्कृत नहीं जानते थे। इस मामले में जब द सूत्र ने रिसर्च की तो सच सामने आ गया।

अंबेडकर को नहीं था संस्कृत का ज्ञान- रामभद्राचार्य

बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर टिप्पणी करते हुए कहा रामभद्राचार्य ने कहा कि अगर बाबा साहब को संस्कृत का ज्ञान होता, तो वे मनुस्मृति को जलाने का प्रयास नहीं करते। उन्होंने मनुस्मृति को राष्ट्र निर्माण के पक्ष में बताते हुए इसे भारतीय न्याय प्रणाली का एक ऐतिहासिक आधार बताया। इस बयान के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है। 

सच्चाई: 9 भाषाएं जानते थे बाबा साहब अंबेडकर

बाबा साहेब आंबेडकर पर बयान देकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बाद नया विवाद खड़ा कर दिया। जब उनके बयान को लेकर जब द सूत्र ने फैक्ट चेक किया तो सामने आया कि बाबा साहब अंबेडकर ने कुल 32 डिग्रियों हासिल की थी। संस्कृत समेत वे 9 भाषाओं के जानकार थे जिसमें अंग्रेज़ी, मराठी, हिंदी, संस्कृत, पाली, गुजराती, फारसी, फ्रेंच और जर्मन शामिल हैं। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने में उन्होंने 8 साल की पढ़ाई पूरी की। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से 'डॉक्टर ऑल साइंस' नामक एक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं। 

मायावती को नहीं अक्षर का भी ज्ञान: रामभद्राचार्य

गोष्ठी में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि मनु महाराज से लेकर ऋषियों तक न्याय देने की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति को बिना ज्ञान के नकारात्मक रूप में देखना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मायावती ने मनु स्मृति की आलोचना शुरू की, लेकिन उन्हें एक अक्षर का भी ज्ञान नहीं था।

न्याय व्यवस्था में सुधार की जरूरत

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि भारत के संविधान में अब तक 129 बार संशोधन किए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी न्याय व्यवस्था में कई सुधारों की आवश्यकता है। उन्होंने रामायण काल की न्याय प्रक्रिया को महाभारत काल से अधिक प्रभावी और समग्र बताया।

यह भी पढ़ें: ग्वालियर हाईकोर्ट में बाबा साहेब की प्रतिमा लगाने के विरोध में बार एसोसिएशन

कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य

रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं। उनका असली नाम गिरधर मिश्रा है और वे चित्रकूट में रहते हैं। वे रामानंद संप्रदाय के चार जगद्गुरुओं में से एक हैं और इस पद पर 1988 से आसीन हैं। उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय की स्थापना की और चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना का श्रेय भी उन्हें जाता है। उन्हें तुलसीदास पर सबसे बेहतरीन विशेषज्ञों में गिना जाता है और उन्हें 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।

यह भी पढ़ें: खंडवा में बनेगा भव्य दादाजी मंदिर, 27 साल पुराना विवाद खत्म, आया ऐतिहासिक फैसला

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर Jagadguru Rambhadracharya Baba Saheb Ambedkar News Ambedkar भारतीय न्याय संहिता मनुस्मृति कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य रामभद्राचार्य बयान dr br ambedkar मायावती कौन हैं रामभद्राचार्य