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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ के परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। अब बार एसोसिएशन ने बिना उचित अनुमति के प्रतिमा लगाने का विरोध किया है। शुक्रवार को भी वकील कोर्ट परिसर के बाहर जुटे और प्रतिमा लगाने का विरोध किया। वकीलों ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है। कलेक्टर रुचिका चौहान ने वकीलों द्वारा खर्च वहन करने की शर्त पर प्रतिमा लगाने की अनुमति दी है।
बार एसोसिएशन ने किया प्रतिमा लगाने का विरोध
ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) की प्रतिमा लगाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) ने कलेक्टर रुचिका चौहान द्वारा दी गई अनुमति को अनुचित बताते हुए विरोध दर्ज कराया है। कलेक्टर रुचिका चौहान ने स्पष्ट किया कि कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद प्रतिमा लगाने की मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि प्रतिमा लगाने का पूरा खर्च वकीलों द्वारा उठाया जाएगा।
लाला फीता बांधकर पहुंचे वकील
गुरुवार को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की बैठक में प्रतिमा लगाए जाने के निर्णय का विरोध किया गया। वकीलों ने शुक्रवार को लाल फीता बांधकर काम किया और बार ग्वालियर बेंच के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को ज्ञापन सौंपा। बार अध्यक्ष पवन पाठक का कहना है कि बिना बिल्डिंग कमेटी की अनुमति के प्रतिमा लगाना नियमों के खिलाफ है।उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि प्रतिमा लगाने का खर्च कौन उठा रहा है? जब तक इन सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं मिलते, तब तक बार एसोसिएशन का विरोध जारी रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन?
बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर महापुरुषों की प्रतिमा लगाने पर रोक लगाई गई थी। यह जिम्मेदारी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दी गई थी कि वे इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें। बार एसोसिएशन ने इस बात पर चिंता जताई कि ग्वालियर में इस आदेश की अवहेलना की जा रही है।
बार अध्यक्ष की मांग सार्वजनिक किया जाए पत्र
बार अध्यक्ष पवन पाठक ने आरोप लगाया कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से कोई आधिकारिक पत्र नहीं लिखा गया, जिसमें प्रतिमा स्थापना की अनुमति मांगी गई हो। उन्होंने प्रिंसिपल रजिस्ट्रार से मांग की कि वे इस संदर्भ में प्रस्तुत किया गया पत्र सार्वजनिक करें।
चीफ जस्टिस को सौंपा गया ज्ञापन
एडवोकेट विश्वजीत रतौनियां ने बताया कि वकीलों के हस्ताक्षरित ज्ञापन को चीफ जस्टिस को सौंपा गया है। इसमें प्रतिमा स्थापना की अनुमति को लेकर पुनर्विचार की मांग की गई है। अब इस मामले में OBC महासभा की भी एंट्री हो रही है। दरअसल महासभा 24 मार्च को आंदोलन करेगी।ॉ
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