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पुरी, ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा आज से शुरू हो गई है। इस यात्रा को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालुओं की यात्रा सुरक्षित और सुचारू रूप से पूरी हो सके।
यह यात्रा कुल 12 दिनों तक चलेगी और 8 जुलाई 2025 को नीलाद्रि विजय के साथ समापन होगा, जब भगवान जगन्नाथ अपने मूल मंदिर में वापस लौटेंगे।
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एक पवित्र यात्रा
हर वर्ष आयोजित होने वाली यह रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ एक बार साल में अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं।
यात्रा से एक दिन पहले हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर के सिंह द्वार पर पहुंचकर नबजौबन दर्शन किया, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को युवा रूप में देखा गया।
प्रशासन और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
बता दें कि, इस वर्ष रथ यात्रा के आयोजन के लिए प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी अरविंद पाधी ने विश्वास जताया कि नबजौबन दर्शन के पूरा होने के बाद रथ यात्रा बिना किसी रुकावट के पूरी होगी।
इस यात्रा में भगवान के तीन रथ - तालध्वज (भगवान बलभद्र का रथ), देवदलन (देवी सुभद्रा का रथ) और नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ का रथ) को तैयार किया गया है। ये रथ आज पुरी के ग्रैंड रोड पर अपनी यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं।
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर ओडिशा पुलिस और अन्य प्रशासनिक विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया गया है। इस बार यात्रा की निगरानी के लिए एक एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र बनाया गया है, जिसमें AI आधारित CCTV प्रणाली और ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है।
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पवित्र यात्रा की विशेष रस्में
रथ यात्रा की प्रमुख तिथियां और रस्में इस प्रकार हैं:
- 27 जून 2025 (शुक्रवार): रथ यात्रा की शुरुआत होगी, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने-अपने रथों पर सवार होकर पुरी से गुंडिचा मंदिर की ओर यात्रा करेंगे। पुरी के राजा 'छेरा पन्हारा' की रस्म निभाएंगे, जिसमें वे सोने की झाड़ू से रथ का चबूतरा साफ करेंगे।
- 1 जुलाई 2025 (मंगलवार): 'हेरा पंचमी'—गुंडिचा मंदिर में भगवान के पांच दिनों तक ठहरने के बाद देवी लक्ष्मी नाराज होकर भगवान जगन्नाथ से मिलने आती हैं, और यह रस्म हेरा पंचमी कहलाती है।
- 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार): 'संध्या दर्शन'—गुंडिचा मंदिर में विशेष दर्शन होंगे, जहाँ श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन करेंगे।
- 5 जुलाई 2025 (शनिवार): 'बहुदा यात्रा'—भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथों पर सवार होकर वापस जगन्नाथ मंदिर की ओर लौटेंगे, और रास्ते में ओडिशा की पारंपरिक मिठाई 'पोडा पिठा' का भोग अर्पित किया जाएगा।
- 6 जुलाई 2025 (रविवार): 'सुना बेशा'—इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को स्वर्ण आभूषणों से सजाया जाएगा, जिससे यात्रा में विशेष आकर्षण रहेगा।
- 7 जुलाई 2025 (सोमवार): 'अधरा पना'—भगवानों को एक विशेष मीठा पेय 'अधरा पना' अर्पित किया जाएगा, जो बड़े मिट्टी के घड़ों में तैयार किया जाता है।
- 8 जुलाई 2025 (मंगलवार): 'नीलाद्रि विजय'—रथ यात्रा का समापन इस दिन होगा, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा वापस अपने मूल मंदिर में लौटेंगे और गर्भगृह में पुनः स्थापित होंगे।
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शुभकामनाएं संदेश
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चंद्र मांझी और राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे आस्था और भक्ति के साथ इस रथ यात्रा में भाग लें और भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस वर्ष की रथ यात्रा की तैयारियां पूरी तरह से सुनिश्चित हैं और प्रशासन ने इस पवित्र यात्रा को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं।
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