लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बीजेपी के वरिष्ठ सदस्य जगदंबिका पाल को वक्फ विधेयक में संशोधन के लिए गठित समिति का अध्यक्ष बनाया है। इस संयुक्त समिति में 31 सदस्य शामिल होंगे इसमें 21 लोकसभा से और राज्यसभा से 10 सदस्य शामिल हैं।
लोकसभा से भाजपा के 8 और कांग्रेस के 3 सांसद
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने लोकसभा में पेश उस प्रस्ताव को मानते हुए सदस्यों को नामित किया था और संयुक्त समिति में लोकसभा से 21 सदस्यों को शामिल किया है। इस सदस्यों में बीजेपी के 8 और कांग्रेस के 3 सांसद शामिल हैं। इसी तरल राज्यसभा से शामिल सदस्यों में से 4 बीजेपी के और एक कांग्रेस, एक तृणमूल कांग्रेस, एक द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), एक वाईएसआर कांग्रेस और एक आम आदमी पार्टी (आप) के हैं। एक मनोनीत सदस्य को भी संयुक्त समिति का सदस्य बनाया गया है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने जब दोनों सदनों में इस प्रस्ताव रखा तो इसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। लोकसभा के सदस्यों में बीजेपी से जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, अपराजिता सारंगी, तेजस्वी सूर्या, संजय जायसवाल, अभिजीत गंगोपाध्याय, दिलीप सैकिया और डीके अरुणा को शामिल किया गया है। इसके साथ ही कांग्रेस से गौरव गोगाई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद को भी सदस्य बनाया है। जगदंबिका पाल चौथी बार लोकसभा के सदस्य चुनकर आए हैं और कहा जाता है कि सभी दल के नेताओं से उनके अच्छे संबंध हैं।
असदुद्दीन औवैसी भी इस समिति में शामिल
वक्फ विधेयक में संशोधन के लिए बनी इस संयुक्त समिति में समाजवादी पार्टी के मौलाना मोहिबुल्ला नदवी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के ए. राजा, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के लावू श्रीकृष्णा, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, जनता दल (यूनाइेड) के दिलेश्वर कामत, शिवसेना के नरेश गणपत म्हास्के, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के सुरेश गोपीनाथ महत्रे, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अरुण भारती और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी शामिल हैं।
समिति में शामिल सदस्यों में 10 राज्यसभा से
समिति में राज्यसभा से गुलाम अली, बृजलाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, राधामोहन दास अग्रवाल ( सभी बीजेपी ), सैयद नासिर हुसैन ( कांग्रेस ), वी विजय साई रेड्डी ( वाईएसआर कांग्रेस ), मोहम्मद नदीमुल हक ( तृणमूल कांग्रेस ), संजय सिंह ( आम आदमी पार्टी ) एम मोहम्मद अब्दुल्ला ( द्रमुक ) और डी वीरेंद्र हेगड़े ( मनोनीत ) को शामिल किया है।
धार्मिक स्वतंत्रता में नहीं किया जा रहा हस्तक्षेप
संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने जब ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ संसद में पेश किया तो विपक्षी दलों की मांग पर इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का लोकसभा अध्यक्ष से प्रस्ताव किया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संयुक्त संसदीय समिति के गठन करने की बात कही थी। संसद में इस विधेयक का विपक्षी दलों ने विरोध कर कहा था कि यह संविधान और अल्पसंख्यकों पर हमला है। जबकि एनडीए का घटक दल जेडीय, टीडीपी और शिवसेना ने इस विधेयक में संशोधन का समर्थन किया था। हालांकि, रिजीजू ने विपक्षी सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि विधेयक में किसी की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है और संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है।
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