10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में बहुत कुछ बदल गया। 370 हटने का बाद हुए परिवर्तन ने यहां के सियासी समीकरण को बदल दिया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के परिणाम सामने आने के बाद, अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या उपराज्यपाल मनोज सिन्हा 5 विधायकों को मनोनीत करेंगे। हालांकि रिजल्ट आने के पहले ही प्रदेश में 5 विधायकों को मनोनीत करने को लेकर राजनीतिक दल विवाद जता चुके हैं। आइए जानते हैं कि राजनीतिक दल क्यों विरोध जता रहे हैं...
क्यों कर रहे हैं सियासी दल विरोध
कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने सरकार गठन से पहले विधानसभा में 5 सदस्यों को मनोनीत किए जाने की अटकलों को लेकर विरोध प्रकट किया है। इन दलों ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने की भी चेतावनी दी है। जहां एक ओर कांग्रेस ने ऐसे किसी भी कदम को लोकतंत्र और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला बताया है। वहीं दूसरी ओर उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah ) ने कहा है कि विधायकों को मनोनीत करना और उसे उपराज्यपाल के पास भेजना सरकार का काम है। इनके अलावा पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती (Iltija Mufti ) ने कहा कि उपराज्यपाल ( Lieutenant Governor ) को विधानसभा में पांच सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार देना चुनावों में धांधली है।
क्या है उपराज्यपाल के मनोनीत करने का अधिकार
दरअसल, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 और 2023 में किए गए संशोधन के तहत केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल 5 सदस्यों को विधानसभा में मनोनीत कर सकते हैं। इन सदस्यों के पास में अन्य विधायकों की तरह ही शक्तियां और मतदान का अधिकार होता है। मनोनीत होने वाले सदस्यों में दो महिलाएं, विस्थापित कश्मीरी समुदाय ( kashmiri community ) की एक महिला समेत दो सदस्य और पाकिस्तान (Pakistan ) के कब्जे वाले कश्मीर के विस्थापित समुदाय के एक सदस्य शामिल हैं।
सरकार गठन में भूमिका निभा सकते हैं मनोनीत सदस्य
अगर ऐसा होता है तो पांचों सदस्य केंद्र शासित प्रदेश में नई सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उपराज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्रालय (Lieutenant Governor Home Ministry ) की सलाह पर 5 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं। अगर सरकार गठन के लिए 5 सदस्य मनोनीत होते हैं तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या बल 95 हो जाएगी। इसके बाद सरकार बनाने के लिए बहुमत की सीमा 48 सीटों की होगी।
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